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शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति बुनियाद बाग पर कब्ज़ा,सी.ई.ओ करेंगे जल्द कार्रवाई
ज़की भारतीय
लखनऊ, 25 जून।पुराने लखनऊ के टापे वाली गली और काज़मैन के निकट स्थित बुनियाद, जो वक़्फ़ क़मर कदर के नाम से शिया सेंट्रल बोर्ड के रजिस्टर 37 में दर्ज है, जिसका वक़्फ़ नम्बर 2674 है, एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। लगभग 10 बीघा क्षेत्रफल में फैली यह जमीन लखनऊ के क़ीमती इलाके में स्थित है, जहां वर्तमान में जमीन की कीमत लगभग 5 से 6 हज़ार रुपये प्रति वर्ग फीट है। इस संपत्ति पर पिछले कई वर्षों से स्वामित्व को लेकर मुकदमा लंबित था, लेकिन हाल ही में निचली अदालत के एक आदेश के बाद रातों-रात एक प्रॉपर्टी डीलर ने इस पर कब्जा कर लिया।
विवाद की शुरुआत
इस संपत्ति पर लंबे समय से पक्ष और विपक्ष के बीच कानूनी जंग चल रही थी। विरोधी पक्ष ने दावा किया कि उनके पास जमीन के कागजात हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सभी दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। इसके चलते विरोधी पक्ष को जमीन पर कब्जा करने से रोक दिया गया। हालांकि, इस घटना के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस प्रकरण पर इतनी देर से संज्ञान क्यों लिया?

हालांकि, अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। स्थानीय निवासी हबीब शारबी ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को एक प्रार्थना पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। प्रार्थना पत्र में उन्होंने उल्लेख किया कि यह संपत्ति बोर्ड के रजिस्टर में दर्ज है और इसके अभिलेखों में पूर्ण विवरण, जिसमें पश्चिम, उत्तर, दक्षिण आदि दिशाओं का उल्लेख, मौजूद है। हबीब ने आरोप लगाया कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में इस संपत्ति के क्षेत्रफल में हेरफेर का खतरा हो सकता है, जिससे यह कीमती जमीन गंवाने का जोखिम बढ़ जाएगा।
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सीईओ की प्रतिक्रिया
जब हमारे संवाददाता ने इस संबंध में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सीईओ से बात की, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह संपत्ति उनके अभिलेखों में दर्ज है।उन्होंने आश्वासन दिया कि दो दिनों के भीतर इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, यह समय दो दिनों का इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद मोहर्रम शुरू हो जाएगा, जो 13 दिनों तक चलता है। इस दौरान शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कार्यालय बंद रहता है, जिससे कार्रवाई में देरी हो सकती है।
संपत्ति का महत्व
हबीब शारबी ने कहा कि यह संपत्ति न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। मौजूदा इस जमीन पर लगभग तीन क़बरें मौजूद हैं । हालांकि प्रॉपर्टी डीलरों का इन तीन क़बरों को सीमित कर 5000 स्क्वायर फीट भूमि पर इमामबाड़ा बनाकर शिया संप्रदाय को बहलाने का इरादा है, ताकि शिया संप्रदाय में रोष भी व्याप्त न हो और वह लगभग 1 लाख वर्ग फिट भूमि आसानी से बेच दें। जबकि एक या एक से अधिक कब्र होने पर ज़मीन बाय नेचर वक़्फ़ मानी जाती है।
वर्तमान में लखनऊ में शिया समुदाय के लिए कब्रिस्तानों की कमी गंभीर समस्या बनती जा रही है। प्रमुख कब्रिस्तान जैसे अब्बासा बाग़ कर्बला, इमामबाड़ा गुफरानमाब,कर्बला ताल कटोरा, कर्बला इमदाद हुसैन खान आदि अब लगभग भर चुके हैं। इन स्थानों पर जमीन की कीमतें 3 से 5 लाख रुपये प्रति कब्र तक पहुंच गई हैं, क्योंकि जगह की भारी कमी है। ऐसे में अगर इस संपत्ति पर कब्रिस्तान या इमामबाड़े का निर्माण किया जाए, तो यह शिया समुदाय के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है।
इसके अलावा, इस जमीन का उपयोग गरीब और निर्धन लोगों को बसाने या धार्मिक स्थलों के विकास के लिए भी किया जा सकता है। यदि प्लॉटिंग न की जाए, तो भी एक कब्रिस्तान के साथ इमामबाड़े का निर्माण लखनऊ के शिया बहुल क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का समाधान हो सकता है।
कानूनी और सामाजिक पहलू
पिछले कई वर्षों में इस संपत्ति पर भू-माफिया और अन्य पक्षों ने कब्जे की कोशिशें की हैं, लेकिन तथाकथित मालिकों ने हर बार इसे रुकवाया। फिर भी, इस बार की घटना ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कोर्ट और वक्फ बोर्ड ने समय रहते इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वक्फ बोर्ड तत्काल कोर्ट में पार्टी बनकर दावा पेश करता है और नोटिस जारी करता है, तो इस संपत्ति को बचाया जा सकता है।
भविष्य की चुनौतियां
हबीब शारबी ने कहा कि अगर दो दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो मोहर्रम आ जाएगा और मोहर्रम में शिया सेंट्रल लॉक बोर्ड बंद हो जाता है।मोहर्रम के बाद इस मामले में देरी होती है, तो भू-माफिया या अन्य पक्ष इस संपत्ति पर फिर से कब्जे की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को न केवल त्वरित कार्रवाई करनी होगी, बल्कि इस संपत्ति के संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजना भी बनानी होगी। हबीब शारबी ने प्रार्थना पत्र देने के बाद ये भी में सुझाव दिया गया है कि बोर्ड को कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखना चाहिए और इस संपत्ति को शिया समुदाय के हित में उपयोग करना चाहिए।
यह मामला न केवल एक संपत्ति विवाद है, बल्कि शिया समुदाय के धार्मिक और सामाजिक हितों से भी जुड़ा है।अगर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड समय रहते इस पर कदम नहीं उठाता, तो यह कीमती जमीन खोने का खतरा बढ़ जाएगा। इस मामले को लेकर शिया धर्म गुरुओं को भी एक जुटता दिखाकर इस जमीन को बचाना पड़ेगा इसके अलावा भी वह बोर्ड को सक्रिय भूमिका निभाने होगी वरना इस संपत्ति की बर्बादी शीघ्र ही होने वाली है। हालांकि इस मामले में अभी संपत्ति की दिशाओं का मामला लटका हुआ है । क्योंकि सीईओ ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि पूरब,पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में किन-किन संपत्तियों का उल्लेख है । उन्होंने कहा है कि दो दिनों बाद रजिस्टर देखकर ये बता सकेंगे की पूरब ,पश्चिम ,उत्तर और दक्षिण में क्या क्या है। और तब कहीं इस उलझी हुई पहेली को सुलझाया जा सकेगा
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