लखनऊ, 29 जून । भारत में बुनियादी ढांचे का विकास देश की प्रगति का आधार है, लेकिन जब निर्माण कार्यों में लापरवाही और तकनीकी खामियाँ सामने आती हैं, तो यह लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाता है। क्या इंजीनियर और ठेकेदार अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं? क्या निर्माण परियोजनाओं में गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है? मध्य प्रदेश में एक ऐसी ही घटना ने प्रशासन को कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है, जिसने यह सवाल उठाया है कि क्या हमारी परियोजनाएँ वास्तव में सुरक्षित हैं?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज लोक निर्माण विभाग (PWD) के आठ इंजीनियरों को एक असुरक्षित ब्रिज के निर्माण के लिए निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर की गई, जब एक तकनीकी जांच में पाया गया कि भोपाल के होशंगाबाद रोड पर निर्माणाधीन एक फ्लाईओवर ब्रिज में 90 डिग्री का मोड़ तकनीकी रूप से असुरक्षित था। इस ब्रिज का डिज़ाइन और निर्माण मानकों के अनुरूप नहीं था, जिसके कारण यह वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए खतरा बन सकता था। जांच समिति ने पाया कि इंजीनियरों ने डिज़ाइन की मंजूरी और निर्माण के दौरान पर्याप्त निगरानी नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप यह खामी सामने आई।
निलंबित इंजीनियरों में दो कार्यकारी अभियंता, तीन सहायक अभियंता, और तीन कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के सचिव राघवेंद्र सिंह ने बताया कि यह निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, और एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की गई है, जो 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “लोगों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निर्माण कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही को कड़ाई से निपटाया जाएगा।” इस घटना ने मध्य प्रदेश में निर्माण परियोजनाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही अक्सर ठेकेदारों और इंजीनियरों के बीच समन्वय की कमी, अपर्याप्त तकनीकी प्रशिक्षण, और निगरानी तंत्र की कमजोरी के कारण होती है।