HomeINDIAबाढ़ से पूर्वोत्तर में तबाही: राहत कार्यों में है तेजी की जरूरत

बाढ़ से पूर्वोत्तर में तबाही: राहत कार्यों में है तेजी की जरूरत

लखनऊ, 2 जून। पूर्वोत्तर भारत में सिक्किम से लेकर ब्रह्मपुत्र की घाटी तक भारी बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।असम, मेघालय, और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ ने हजारों लोगों को प्रभावित किया है। लखनऊ से इस आपदा पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। असम के धुबरी और गोलपाड़ा जिलों में ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने राहत कार्य शुरू किए हैं, लेकिन स्थानीय लोग दवाइयों और खाद्य सामग्री की कमी की शिकायत कर रहे हैं। मेघालय के गारो हिल्स में भूस्खलन ने कई सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे राहत सामग्री पहुंचाने में देरी हो रही है। लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल मिश्रा ने कहा, “पूर्वोत्तर में दवाइयों की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है, खासकर मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों के लिए।” बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पानी की कमी से हैजा और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।असम सरकार ने केंद्र से अतिरिक्त सहायता मांगी है, और लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पूर्वोत्तर के लिए दवाइयों का एक विशेष स्टॉक भेजने की घोषणा की है। लखनऊ के गोमतीनगर में एक स्वयंसेवी संगठन ने राहत सामग्री जुटाने के लिए अभियान शुरू किया है। संगठन की प्रमुख शालिनी वर्मा ने बताया, “हम दवाइयां, कंबल, और सूखा भोजन भेज रहे हैं।” केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता की घोषणा की है, लेकिन स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।बाढ़ ने फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे खाद्य संकट की आशंका बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए बाढ़ नियंत्रण और जलवायु अनुकूलन नीतियों को लागू करना होगा। लखनऊ में पर्यावरणविदों ने इस आपदा को जलवायु परिवर्तन का परिणाम बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पूर्वोत्तर में राहत कार्यों को तेज करने और दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को समन्वित प्रयास करने होंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read