HomeCrimeनवाबों की नगरी लखनऊ अब जुए और नशे के अड्डे में तब्दील

नवाबों की नगरी लखनऊ अब जुए और नशे के अड्डे में तब्दील

ज़की भारतीय

लखनऊ, 26 नवंबर । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों की नगरी, तहज़ीब का शहर और चिकनकारी-जरदोज़ी की राजधानी कहा जाता है। बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा, हुसैनाबाद क्लॉक टावर जैसी ऐतिहासिक इमारतें और टुंडे कबाबी, इदरीस की बिरयानी, प्रकाश की कुल्फी जैसी खाने की चीज़ें इसे दुनिया भर में मशहूर करती हैं। लेकिन अब यही लखनऊ एक दूसरी पहचान बना रहा है – अवैध जुए और मादक पदार्थों का गढ़। पुराना लखनऊ हो या नया, गोमती नगर हो या आलमबाग, हर कोने में सट्टा, ताश, मटका और ब्राउन शुगर-गांजा का धंधा फल-फूल रहा है। सबसे दुखद बात यह है कि इन धंधों में स्थानीय पुलिस की खुली मिलीभगत सामने आ रही है।

सेंसेक्स के नाम पर खुलेआम सट्टा

शहर के कई इलाकों में “सेंसेक्स” के नाम पर दिनदहाड़े सट्टे का खेल चल रहा है। सहादतगंज थाना क्षेत्र के नूरवादी, छावनी हसनुद्दीन, गढ़िया नजफ रोड पर एक दुकान तो खासतौर पर कुख्यात है। सुबह 10 बजे से ही पर्चियां बांटने कासिलसिला शुरू हो जाता है।
दोपहर 3 बजे परिणाम आने के बाद लाखों-करोड़ों का लेन-देन होता है। अलग-अलग मोहल्लों में दलाल खड़े रहते हैं, पर्चियां भरवाते हैं, पैसा इकट्ठा करते हैं और जीतने वाले को इनाम बांटते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दुकान से पुलिस को रोज़ाना मोटी रकम “हफ्ता” के रूप में जाती है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं होती।

मजार के पास पान की दुकान, अंदर ब्राउन शुगर-गांजा

सहादतगंज थाना क्षेत्र में ही पुराना चबूतरा रोड पर एक मजार के बिल्कुल पास एक पान की दुकान है। बाहरी तौर पर यह सामान्य पान की दुकान दिखती है, लेकिन अंदर का सच अलग है। अगर आप पुराने ग्राहक हैं तो सिर्फ इतना कहना काफी है – “पाउडर है?”, “ब्राउन है?”, “गांजा चाहिए?” – सामान तुरंत मिल जाता है। नए चेहरे को पहले “पहचाना” जाता है, फिर सामान दिया जाता है। आस-पास के लोग बताते हैं कि शाम ढलते ही यहां युवाओं की भीड़ लग जाती है।

थाने के पीछे ही नशे का बाज़ार

सआदतगंज थाना क्षेत्र, ख़ुद थाने के पीछे और बावली चौकी से महज 200 मीटर दूर भी यही धंधा ज़ोरों पर है। थाने के इतने करीब होने के बावजूद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। कई बार शिकायत के बाद छापा पड़ता है, कुछ दिन धंधा बंद रहता है, फिर पहले से ज़्यादा धड़ल्ले से शुरू हो जाता है।

मेहंदीगंज में ताश के पत्तों से करोड़ों की हार-जीत

बाजारखाला थाना क्षेत्र के मेहंदीगंज में एक मकान में ताश के पत्तों से रोज़ाना करोड़ों रुपए की जुए की बाजी लगती है। दांव इतने बड़े होते हैं कि एक रात में लोग लाखों जीत या हार जाते हैं। इसी इलाके में नकली शराब, भांग, गांजा, चरस और हेरोइन का भी बड़ा कारोबार है। हमारे संवाददाता ने जोखिम उठाकर दो तस्वीरें हासिल की हैं, जिनमें साफ दिख रहा है कि ये धंधे कितनी बेखौफ़ तरीके से चल रहे हैं। जब इस बारे में संबंधित थानों से बात की गई तो आरोपों को “निराधार” बताया गया, इसके बाद जोशी टोला में होने वाला जुआ अब पुराने हैदर चौराहे से लगभग 250 सौ मीटर की दूरी पर स्थित एक गली के मकान में शुरू हो चुका है। इसमें एक जुआरी जो अब जुए का संचालन कर रहा है, वो एक यूट्यूब चैनल बनाकर पत्रकारिता की आड़ में इस जुए के धंधे को पुलिस की साठगांठ से दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की दे रहा है। इसमें एक मान्यता प्राप्त पत्रकार की भी संलिप्ता बताई जा रही है।

पुलिस की मिलीभगत, आम आदमी की मजबूरी

लोग शिकायत करने से डरते हैं। वजह साफ है – जुआ और नशे के धंधेबाज़ों की ऊंची पहुंच है। पुलिस कहती है, “वीडियो या फोटो लाओ, तब छापा मारेंगे।” लेकिन जिस घर या दुकान में जुआ चल रहा हो, वहां जाकर वीडियो बनाना जान जोखिम में डालने जैसा है। ये लोग फर्जी मुकदमे में फंसा सकते हैं, मारपीट कर सकते हैं। नतीजा यह कि शरीफ नागरिक चुप रहना ही मुनासिब समझते हैं।

बच्चे और नौजवान सबसे ज्यादा शिकार

सबसे खतरनाक बात यह है कि इन धंधों की चपेट में अब स्कूल-कॉलेज के बच्चे और नौजवान आ रहे हैं। पहले सट्टे की लत लगती है, फिर नशे की। एक बार लत लगी तो घर बिक जाता है, नौकरी चली जाती है, ज़िंदगी बर्बाद हो जाती है। लखनऊ के कई मोहल्लों में मां-बाप परेशान हैं कि उनका बेटा कहां-कहां पैसा उड़ा रहा है।

ज़िम्मेदारी किसकी?

इस सारे खेल की ज़िम्मेदारी सिर्फ अपराधियों की नहीं, पुलिस और प्रशासन की भी है। जब थाने के बगल में नशा बिक रहा हो, मजार के पास ब्राउन शुगर मिल रही हो, थाने से 200 मीटर दूर करोड़ों का जुआ चल रहा हो, तो यह साफ है कि बिना मिलीभगत के यह संभव नहीं। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नवाबों की नगरी की तहज़ीब सिर्फ किताबों में रह जाएगी और लखनऊ “नशे और जुए की राजधानी” के नाम से कुख्यात हो जाएगा।
लखनऊ के नागरिक अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस और लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट इस गंभीर मामले में सख्त कार्रवाई करेगी, वरना आने वाली पीढ़ी इस लत की भेंट चढ़ जाएगी।

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