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लखनऊ के मुक़ारिम नगर में स्मार्ट मीटर लगाने वाले ठेकेदारों के आतंक ,रिश्वतखोरी, मनमानी और बिल बम से जनता त्रस्त

ज़की भारतीय

पहले से ठीक चल रहे डिजिटल मीटर को जबरन बदलने की कोशिश, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम उड़ रही हैं धज्जियाँ

लखनऊ, 21 नवंबर । निराला नगर के मुक़ारिम नगर वार्ड में पिछले कई दिनों से बिजली उपभोक्ताओं के घरों में एक नया आतंक चल रहा है – स्मार्ट मीटर का आतंक। ठेकेदारों के दल घर-घर पहुँच रहे हैं और धमकी दे रहे हैं – “मीटर नहीं बदलवाया तो कनेक्शन काट देंगे।”
जिन घरों में पहले से डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक मीटर बिल्कुल ठीक चल रहे हैं, जिन उपभोक्ताओं ने कभी कोई शिकायत नहीं की, उनके घरों में भी जबरन स्मार्ट मीटर ठूँसा जा रहा है। स्थानीय निवासी मजहर आलम ने बताया, “मेरा पुराना मीटर बिल्कुल ठीक चल रहा है। न तेज चलता है, न रीडिंग में कोई गड़बड़ी। बिल हर महीने औसतन ठीक ही आता था। फिर भी ठेकेदार बार-बार आते हैं और कहते हैं – ‘पैसे दो तो छोड़ देंगे, नहीं तो मीटर बदल देंगे।’ मैंने मना किया तो धमकी दी कि कनेक्शन काट देंगे। एसडीओ का नंबर दिया गया, लेकिन वह नंबर शक्ति भवन (हेड ऑफिस) का है। वहाँ बैठे एसडीओ से बात ही नहीं हो पाती।”

ठेकेदारों की खुली लूट और रिश्वतखोरी

मुक़ारिम नगर जैसे दर्जनों मोहल्लों में एक ही कहानी है –
जिन घरों ने 5 से 10 हजार रुपये “बंदोबस्त” कर लिया, उनके घर छोड़ दिए गए।
जिन्होंने पैसे देने से इनकार किया, उनके घरों में जबरन स्मार्ट मीटर लगा दिया जा रहा है।
एक बुजुर्ग महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
“मेरे बेटे ने ठेकेदार को 5000 रुपये दिए तो उसने कहा – ‘अब 2 साल तक नहीं आएँगे।’ जो नहीं दे पाए, उनके घर में मीटर बदल दिया गया। अब उनका बिल 5000 से बढ़कर 8500-9000 रुपये आने लगा है।”
स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिल 50-80% तक बढ़ गए मुक़ारिम नगर, कैसरबाग, राजाजीपुरम, आलमबाग और गोमती नगर के कई इलाकों में एक ही शिकायत है,स्मार्ट मीटर लगते ही बिजली बिल आसमान छूने लगे। उदाहरण के मुताबिक़ राजेंद्र नगर की रेनू अवस्थी ने बताया पहले 4200 का बिल आता था अब 7800 रुपए आने लगा है।
मुक़ारिम नगर के इरफ़ान अहमद के यहां भी पहले 5800, अब 11200 रुपए आने लगा है।निराला नगर के उमेश श्रीवास्तव पहले 4800, अब 9200 का बिल आ रहा है।
लोगों का आरोप है कि ये स्मार्ट मीटर जानबूझकर तेज चलने के लिए डिजाइन किए गए हैं ताकि ठेकेदारों और बिजली विभाग के कुछ अधिकारियों का “टारगेट” पूरा हो और सरकारी राजस्व का पेट भर जाए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवहेलना

उपभोक्ता अधिकार संगठनों ने बार-बार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है जिसमें स्पष्ट कहा गया है , “जिन उपभोक्ताओं के यहाँ पहले से लगा मीटर ठीक काम कर रहा है और उन्हें कोई शिकायत नहीं है, उनके यहाँ जबरन स्मार्ट मीटर नहीं लगाया जा सकता।”

सुप्रीम कोर्ट का 2020-2021 के दौरान स्मार्ट मीटर से जुड़े कई मामलों में दिया गया सामान्य सिद्धांत, जिसे बाद में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई हाईकोर्ट ने भी दोहराया।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं,
“सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है – तकनीकी उन्नति का मतलब उपभोक्ता पर अत्याचार नहीं। Electricity (Rights of Consumers) Rules, 2020 के नियम-8 में भी साफ लिखा है कि मौजूदा उपभोक्ता को स्मार्ट मीटर थोपा नहीं जा सकता। फिर भी UPPCL और ठेकेदार मिलकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।”

UPERC ने भी ठेकेदारों को लगाई फटकार

13 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने UPPCL को नोटिस जारी कर पूछा था :
“बिना उपभोक्ता सहमति और बिना आयोग की मंजूरी के स्मार्ट मीटर की लागत कैसे तय की गई? ठेकेदारों को मनमानी की छूट क्यों दी जा रही है?”
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि नोटिस के बावजूद मुक़ारिम नगर में ठेकेदारों का आतंक जारी है।

जनता अब सड़क पर उतरने को तैयार

मुक़ारिम नगर के लोगों ने ऐलान किया है कि अगर एक हफ्ते में जबरन मीटर बदलने की प्रक्रिया नहीं रुकी तो
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की छायाप्रति लगाकर सामूहिक याचिका दायर की जाएगी।

ठेकेदारों के खिलाफ रिश्वतखोरी और आपराधिक धमकी के तहत FIR दर्ज कराई जाएगी।
शक्ति भवन के सामने धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“हम गरीब लोग हैं, लेकिन अब चुप नहीं बैठेंगे। स्मार्ट मीटर के नाम पर हमारी जेब काटी जा रही है। सरकार या तो ठेकेदारों पर लगाम लगाए या हम सड़क पर उतरेंगे।”

सरकार और UPPCL चुप क्यों?

जब संवाददाता ने UPPCL के प्रवक्ता से बात करने की कोशिश की तो जवाब मिला – “हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।”
लेकिन सवाल यह है कि जब सोशल मीडिया पर हर दिन सैकड़ों शिकायतें आ रही हैं, तो UPPCL को जानकारी कैसे नहीं है?

क्या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार स्मार्ट मीटर के नाम पर चल रही इस लूट को देखते हुए भी चुप रहेगी?
क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वालों पर कोई कार्रवाई होगी?
या फिर गरीब जनता को ठेकेदारों के रहम पर छोड़ दिया जाएगा?

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