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ऑपरेशन सुदूर में भारतीय विमानों के नष्ट होने की खबरों पर दूतावास की सफाई, विवाद बढ़ा

लखनऊ, 30 जून। भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सैन्य तनाव और ऑपरेशन सुदूर (सिंदूर) के दौरान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के नष्ट होने की खबरों ने देश में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि ऑपरेशन सुदूर के दौरान भारत ने कई फाइटर जेट्स खोए। इन दावों में यह भी कहा गया कि राजनीतिक नेतृत्व ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला न करने का दबाव बनाया, जिसके कारण भारतीय वायुसेना को नुकसान उठाना पड़ा। इन विवादास्पद दावों के बाद भारतीय दूतावास ने जकार्ता से एक बयान जारी कर सफाई दी, जिसने इस मुद्दे को और गरमा दिया।
ऑपरेशन सुदूर 7 मई 2025 को शुरू हुआ था, जब भारतीय सशस्त्र बलों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी, और भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ा था। भारत ने दावा किया कि ऑपरेशन सुदूर में केवल आतंकी ढाँचों को निशाना बनाया गया, और कोई भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक सुविधाएँ प्रभावित नहीं हुईं। हालांकि, पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय हमलों में नागरिक क्षेत्रों, जैसे मस्जिदों, को नुकसान पहुँचा और कई नागरिक मारे गए।
विवाद तब और बढ़ा जब कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स और खबरों में दावा किया गया कि ऑपरेशन सुदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के कई लड़ाकू विमान, जिनमें एक राफेल जेट भी शामिल था, पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा मार गिराए गए। स्विस अखबार न्यू ज़्यूरर ज़ितुंग ने दावा किया कि ऑपरेशन सुदूर भारत के लिए “विनाशकारी” रहा, क्योंकि भारतीय पायलटों को कड़ा प्रतिरोध मिला, और मिशन अपने उद्देश्यों को जल्दी और बिना नुकसान के पूरा करने में विफल रहा। इन दावों को और बल तब मिला जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और कथित तौर पर भारत के डिफेंस अटैच ने स्वीकार किया कि 7 मई को कुछ जेट्स को नुकसान हुआ।
जकार्ता में भारतीय दूतावास ने इन दावों का खंडन करते हुए बयान जारी किया कि सोशल मीडिया पर चल रही खबरें “गलत और भ्रामक” हैं। दूतावास ने कहा कि ऑपरेशन सुदूर पूरी तरह से आतंकी ठिकानों पर केंद्रित था, और भारतीय वायुसेना ने इसे “सटीक और पेशेवर” तरीके से अंजाम दिया। दूतावास ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ पुरानी तस्वीरों और गलत सूचनाओं को ऑपरेशन सुदूर से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा है, जो “पाकिस्तानी प्रचार” का हिस्सा है। दूतावास ने जोर देकर कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया, जिनमें पहलगाम हमले के जिम्मेदार लोग भी शामिल थे।
हालांकि, भारत ने भी इस ऑपरेशन में नुकसान झेला। सरकार के अनुसार, ऑपरेशन सुदूर और इसके बाद पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई में 21 नागरिक और 8 सैन्य/अर्धसैन्य कर्मी मारे गए। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तानी गोलाबारी में एक गुरुद्वारा, स्कूल, और कई घर क्षतिग्रस्त हुए, जिसमें 14 नागरिक और 2 सैनिक मारे गए। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी और बीएसएफ के एक सब-इंस्पेक्टर सहित कुछ कर्मियों की शहादत भी दर्ज की गई। इन नुकसानों ने विपक्षी दलों को सरकार पर सवाल उठाने का मौका दिया, जिन्होंने ऑपरेशन की रणनीति और पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
लखनऊ में रक्षा विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों के बीच इस मुद्दे पर गर्मागर्म चर्चा हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राजनीतिक दबाव के कारण सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया गया, तो इससे ऑपरेशन की प्रभावशीलता पर असर पड़ा। वहीं, सरकार ने दूतावास के बयान के जरिए यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि ऑपरेशन का उद्देश्य केवल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई था, न कि पूर्ण युद्ध शुरू करना। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस उत्पादन इकाई के उद्घाटन के दौरान कहा, “ऑपरेशन सुदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है। हमने रावलपिंडी तक अपनी ताकत का संदेश पहुँचाया।”
यह विवाद अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है, और जनता में इस बात पर बहस छिड़ी है कि क्या भारत को और पारदर्शिता के साथ ऑपरेशन के नुकसान और सफलताओं का खुलासा करना चाहिए।

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