लखनऊ, 1 जून । लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माण की आड़ में लोगों से वसूली करने वाले एक संगठित “शिकायती गिरोह” का पर्दाफाश किया है। LDA उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के नेतृत्व में हुई जांच में सामने आया कि 28 लोगों ने जनवरी 2024 से 30 मई, 2025 तक IGRS पोर्टल पर 2114 शिकायतें दर्ज कीं। इन शिकायतों का मकसद बिल्डरों और संपत्ति मालिकों को डराकर मोटी रकम वसूलना था।
खास बिंदु:शिकायती गिरोह की रणनीति: इस गिरोह में वकील, पत्रकार, और दलाल शामिल थे, जो सूचना के अधिकार (RTI) का दुरुपयोग करते थे। ये लोग बिल्डिंगों की अनुमति, मानचित्र स्वीकृति, और कंपाउंडिंग चार्ज की जानकारी मांगते थे। LDA के जवाब में यदि अनुमति न होने की बात सामने आती, तो ये लोग बिल्डरों को कार्रवाई का डर दिखाकर वसूली करते थे।कुछ मामलों में, LDA के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
RTI का दुरुपयोग: जांच में पाया गया कि एक व्यक्ति ने औसतन 75 से अधिक शिकायतें दर्ज कीं, जो विभिन्न क्षेत्रों की बिल्डिंगों से संबंधित थीं। उदाहरण के लिए, एक शिकायतकर्ता ने 20 से अधिक बिल्डिंगों के खिलाफ RTI दाखिल की, जो स्पष्ट रूप से वसूली के इरादे को दर्शाता है।
FIR और पुलिस कार्रवाई: अभी तक LDA ने इस गिरोह के खिलाफ FIR दर्ज करने या पुलिस को सूचित करने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, जनता और बिल्डरों की मांग है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो, खासकर उन वकीलों और तथाकथित पत्रकारों के खिलाफ जो इस रैकेट में शामिल हैं। LDA ने कहा है कि गहन जांच के बाद ही कार्रवाई होगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह जांच तक सीमित रहेगी या आगे बढ़ेगी।
LDA अधिकारियों की भूमिका: पहले की खबरों में LDA के अंदरूनी लोगों की संलिप्तता की बात सामने आई थी, जैसे कि जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में। इस मामले में भी संदेह है कि कुछ अधिकारी इस गिरोह के साथ मिले हुए थे। जनता की मांग है कि ऐसे अधिकारियों की जांच हो और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
तथाकथित पत्रकारों और दलालों की सांठगांठ
इस रैकेट में कुछ तथाकथित पत्रकारों ने शिकायतकर्ताओं के साथ मिलकर बिल्डरों को “मैनेज” करने की कोशिश की। वे कार्रवाई का डर दिखाकर या खबरें छापने की धमकी देकर रकम वसूलते थे। LDA से अपेक्षा है कि ऐसे पत्रकारों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। LDA ने अब सभी शिकायतों की स्क्रूटनी और सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। केवल वैध शिकायतों पर ही कार्रवाई होगी। साथ ही, RTI के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाने की बात चल रही है। हालांकि, यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह जांच केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगी या वास्तव में दोषियों पर शिकंजा कसेगा।
शिकायती गिरोह और संलिप्त LDA अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज हो। बार-बार शिकायत करने वालों की पहचान और उनके इरादों का खुलासा हो। किन क्षेत्रों की बिल्डिंगों को निशाना बनाया गया, इसका विवरण सार्वजनिक हो। प्रत्येक शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज शिकायतों की संख्या और उनके उद्देश्यों को LDA द्वारा सार्वजनिक किया जाए। LDA का यह कदम अवैध वसूली को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि क्या दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी। यदि यह मामला केवल जांच तक सीमित रहा, तो जनता का भरोसा टूट सकता है।