लखनऊ,30 अप्रैल।उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड की 71 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर माफिया अतीक अहमद के परिवार और करीबियों के कब्जे का मामला फिर से सुर्खियों में रहा। यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद और गर्माया, जब कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में क्रिमिनल मामलों को सिविल में बदलने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। इसने समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीखी राजनीतिक बयानबाजी को जन्म दिया। सपा ने इसे BJP की साजिश करार दिया, जबकि BJP ने सपा पर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया। यह विवाद न केवल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन पर सवाल उठाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासत में भी गहरे प्रभाव डाल रहा है।वक्फ बोर्ड की संपत्तियां, जो धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए दान की जाती हैं, उत्तर प्रदेश में कुल 1,24,355 सुन्नी और 7,785 शिया संपत्तियों के रूप में दर्ज हैं। इनमें से कई संपत्तियों पर अवैध कब्जे और कुप्रबंधन के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। अतीक अहमद, जो एक कुख्यात माफिया और पूर्व सांसद थे, के परिवार द्वारा इन संपत्तियों पर कब्जे की खबर ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसी संपत्तियों को माफिया के कब्जे से मुक्त कराने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। इसने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दिया, जिसने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता के रूप में पेश किया।
सपा और BJP के बीच तीखी जंग
इस विवाद ने सपा और BJP को आमने-सामने ला खड़ा किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 30 अप्रैल की सुबह लखनऊ में एक बयान जारी कर कहा कि BJP सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को निशाना बनाकर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला केवल सियासी लाभ के लिए उछाला जा रहा है और अतीक अहमद का नाम जानबूझकर जोड़ा गया है। दूसरी ओर, BJP के प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि सपा ने अपने शासनकाल में अतीक जैसे माफियाओं को खुली छूट दी, जिसके चलते वक्फ संपत्तियों पर कब्जे हुए। उन्होंने दावा किया कि योगी सरकार अब इन संपत्तियों को मुक्त कराने के लिए कठोर कदम उठा रही है।इस बीच, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद ने हाल ही में जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता के लिए काम कर रही है। उन्होंने बताया कि अवैध कब्जों की पहचान के लिए जिलाधिकारियों को विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, सपा ने इसे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला करार दिया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। यह बयानबाजी 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच वोटबैंक की राजनीति को और तेज कर सकती है।इस विवाद का एक बड़ा पहलू यह भी है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025, जो हाल ही में संसद में पारित हुआ, ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित कर दिया है। नए कानून के तहत, वक्फ बोर्ड अब मनमाने ढंग से किसी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता, और विवादों को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को इस कानून के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जिसने BJP को यह कहने का मौका दिया कि उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, सपा और अन्य विपक्षी दल इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं।
वक्फ बोर्ड संपत्तियों पर अतीक अहमद के परिवार के कब्जे का मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार ने इस विवाद को और हवा दी है, जिससे सपा और BJP के बीच तल्खी बढ़ी है। यह मामला न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता के सवाल उठाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था और धार्मिक भावनाओं से जुड़े सियासी दांवपेच को भी उजागर करता है।



