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लखनऊ में आवारा कुत्तों का आतंक: मलाही टोला, अब्बास नगर में बच्चों पर हमला, नगर निगम की लापरवाही पर सवाल

ज़की भारतीय

लखनऊ, 14 मई । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आवारा कुत्तों का आतंक हदें पार कर रहा है। ताजा मामला मलाही टोला, दित्य वार्ड के अब्बास नगर इलाके से सामने आया है, जहाँ आवारा कुत्तों के झुंड ने दो बच्चों पर भयंकर जानलेवा हमला कर उन्हें गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। इस घटना ने स्थानीय निवासियों में दहशत फैला दी है, और लखनऊ नगर निगम की लापरवाही पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम इस समस्या से निपटने में पूरी तरह नाकाम रहा है, और कुछ तथाकथित “आवारा कुत्तों के प्रेमी” कार्रवाई में बाधा डाल रहे हैं, जिससे इंसानों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है।

मलाही टोला की घटना: बच्चों की जान पर बनी आफत

 

मलाही टोला, अब्बास नगर में हाल ही में हुई इस घटना में आवारा कुत्तों ने दो मासूम बच्चों को निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चे अपने घर के बाहर खेल रहे थे, तभी कुत्तों का एक झुंड अचानक उन पर टूट पड़ा। बच्चों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग दौड़े, लेकिन तब तक कुत्तों ने बच्चों को कई जगह काटकर जख्मी कर दिया था। घायल बच्चों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है; इलाके में कुत्तों का आतंक लंबे समय से जारी है, लेकिन नगर निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

आवारा कुत्तों का ये जानलेवा हमला पहला नहीं है

 

लखनऊ में आवारा कुत्तों की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है। हाल के वर्षों में कई ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जिनमें मासूम बच्चे, महिलाएँ, और बुजुर्ग कुत्तों के हमलों का शिकार हुए हैं।

2022, ठाकुरगंज: 6 वर्षीय रजा की कुत्तों के हमले में मृत्यु हो गई, और उसकी बहन जन्नत फातिमा गंभीर रूप से घायल हुई। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और नगर निगम से जवाब माँगा।

2023, अलीगंज, बनारसी टोला: तीन बच्चों—मो. अशर (7), हुरैन (6), और अभय वाल्मीकि (4)—पर कुत्तों ने हमला किया, जिससे वे बुरी तरह जख्मी हुए। स्थानीय लोगों ने नगर निगम की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।

2023, सृष्टि अपार्टमेंट, कमता: एक महिला और 14 वर्षीय प्रणव शेखर पर कुत्तों ने हमला किया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई।

2025, जानकीपुरम: एक महिला द्वारा 34 आवारा कुत्तों को घर में रखने की शिकायत पर नगर निगम ने कार्रवाई शुरू की, लेकिन यह मामला भी कुत्तों की समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। ये घटनाएँ सिर्फ लखनऊ तक सीमित नहीं हैं। पूरे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भी आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है।

अमरोहा, 2023: बच्चों पर कुत्तों के हमले के वीडियो वायरल हुए, जिसके बाद लोगों में डर का माहौल बन गया।

बहराइच, 2025: पिछले 10 दिनों में कुत्तों के हमलों में एक बच्चे की मौत और 14 लोग घायल हुए। प्रशासन को लाउडस्पीकर से लोगों को सतर्क करना पड़ा।

अलवर, राजस्थान, 2025: 3 वर्षीय बच्ची और 18 वर्षीय नव्या पर कुत्तों ने हमला किया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हुईं।

शिवपुरी, मध्य प्रदेश, 2025: तीन बच्चों—नितिन (7), आदिल (6), और रीता (3)—पर जंगली कुत्तों ने हमला किया, जिससे वे बुरी तरह जख्मी हुए।

नगर निगम की लापरवाही और बहानेबाजी

लखनऊ नगर निगम पर स्थानीय लोग लगातार लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। मलाही टोला के निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम के कुछ अधिकारी दावा करते हैं कि उनके पास सीमित संसाधन हैं और हाई कोर्ट के कथित “स्टे ऑर्डर” के कारण वे कुत्तों को पकड़ने में असमर्थ हैं। हालाँकि, जाँच में पता चला है कि मेनका गांधी या उनके संगठन पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) द्वारा लखनऊ में कुत्तों को पकड़ने के खिलाफ कोई स्टे ऑर्डर हाई कोर्ट से नहीं लिया गया है। यह दावा पूरी तरह निराधार और भ्रामक है।

नगर निगम की कुछ कार्रवाइयाँ और नसबंदी अभियान

नगर निगम का दावा है कि 2022 तक 43,000 कुत्तों की नसबंदी की गई, और रोजाना 50 कुत्तों का बंध्याकरण किया जा रहा है।
शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर जैसे 0522-2307782, 9336212853 जारी किए गए हैं।

टीकाकरण: रेबीज-रोधी टीकाकरण के साथ नसबंदी की जाती है, लेकिन स्थानीय लोग इसे अपर्याप्त मानते हैं।नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है, जिससे हमलावर कुत्तों की समस्या बनी रहती है। विशिष्ट हमलावर कुत्तों की पहचान और आइसोलेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। लखनऊ में शेल्टर होम की कमी के कारण खतरनाक कुत्तों को अलग रखना संभव नहीं हो पाता।

मेनका गांधी और स्टे ऑर्डर की अफवाह

कुछ लोग दावा करते हैं कि मेनका गांधी ने हाई कोर्ट से कुत्तों को पकड़ने पर रोक लगाने का स्टे ऑर्डर लिया है, जिसके कारण नगर निगम कार्रवाई नहीं कर रहा। यह दावा पूरी तरह गलत है। उपलब्ध जानकारी और विश्वसनीय स्रोतों (समाचार, कोर्ट रिकॉर्ड) की जाँच में पाया गया,मेनका गांधी या PFA ने लखनऊ में कुत्तों को पकड़ने के खिलाफ कोई स्टे ऑर्डर नहीं लिया है। मेनका गांधी पशु कल्याण के लिए सक्रिय हैं और अक्सर अवैध क्रूरता (जैसे कुत्तों को मारना, जहर देना) के खिलाफ आवाज उठाती हैं।

उदाहरण

2017, दिल्ली: PFA के दबाव में नगर निगम ने कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई रोकी।

2021, गोरखपुर: PFA की शिकायत पर डॉग कैचर गाड़ी बंद की गई।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मानव सुरक्षा और पशु कल्याण में संतुलन बनाना जरूरी है। कुत्तों को मारना गैर-कानूनी है (पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960; IPC धारा 428, 429), लेकिन खतरनाक कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और आइसोलेशन की अनुमति है।यह अफवाह संभवतः मेनका गांधी की पशु अधिकार छवि और PFA के हस्तक्षेप से उत्पन्न हुई है, लेकिन इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।

कानूनी स्थिति और कानूनी प्रावधान

पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2001: कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य है, लेकिन मारना या स्थायी हटाना प्रतिबंधित है, जब तक कि कुत्ता सिद्ध रूप से खतरनाक न हो।

सुप्रीम कोर्ट (2015, 2016): मानव सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, खतरनाक कुत्तों को आइसोलेट करने की अनुमति दी गई है।पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960: कुत्तों को मारना या क्रूरता करना दंडनीय है (5 साल तक की जेल या जुर्माना)।

नगर निगम को चाहिए कि विशिष्ट हमलावर कुत्तों को पकड़ें ,मलाही टोला जैसे इलाकों में हमलावर कुत्तों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करें।

शेल्टर होम बनाएँ: लखनऊ में शेल्टर होम की कमी को दूर कर खतरनाक कुत्तों को रखने की व्यवस्था करें।

नसबंदी तेज करें: नसबंदी अभियान को और प्रभावी बनाएँ, ताकि कुत्तों की आबादी नियंत्रित हो।

जागरूकता फैलाएँ: लोगों को हेल्पलाइन नंबर और शिकायत प्रक्रिया की जानकारी दें।

नगर निगम से तत्काल कार्रवाई की माँग

मलाही टोला, अब्बास नगर के निवासियों ने नगर निगम से तत्काल कार्रवाई की माँग की है। उनका कहना है कि बच्चों की जान खतरे में है, और नगर निगम की शिथिलता अब बर्दाश्त से बाहर है। लोग पूछ रहे हैं कि जब इंसानों की सुरक्षा दाँव पर हो, तो “आवारा कुत्तों के प्रेमियों” की बात क्यों सुनी जा रही है?

अन्य शहरों की स्थिति और कुछ उदाहरण:

झाँसी, 2023: एक बच्चे पर पाँच कुत्तों ने हमला किया, जिसका वीडियो वायरल हुआ।

अलीराजपुर, मध्य प्रदेश, 2025: एक पागल कुत्ते ने एक दिन में 30 लोगों को काटा, जिससे दहशत फैल गई।

सागर, मध्य प्रदेश, 2024: 20 दिनों में 900 लोग कुत्तों के शिकार बने, जिसमें एक पार्षद और उनकी बेटी भी शामिल थीं।
इन घटनाओं से साफ है कि नगर निगमों की लापरवाही और शेल्टर होम की कमी इस समस्या को बढ़ा रही है।

लखनऊ के मलाही टोला, अब्बास नगर में दो बच्चों पर आवारा कुत्तों का हमला एक चेतावनी है कि अब इस समस्या को अनदेखा नहीं किया जा सकता। नगर निगम की लापरवाही और कथित “हाई कोर्ट स्टे” जैसे बहाने लोगों का गुस्सा बढ़ा रहे हैं। मेनका गांधी या PFA द्वारा कुत्तों को पकड़ने के खिलाफ कोई स्टे ऑर्डर नहीं है, और यह दावा पूरी तरह अफवाह है। नगर निगम को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए—हमलावर कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और आइसोलेशन करना, शेल्टर होम बनाना, और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। इंसानों की जान उतनी ही कीमती है जितनी जानवरों की, और इस संतुलन को बनाए रखने की जिम्मेदारी नगर निगम की है।

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