ज़की भारतीय
लखनऊ, 12 नवंबर। राजधानी लखनऊ में आधार कार्ड अपडेट केंद्रों पर पिछले कई हफ्तों से जो मारामारी मची हुई है, उसने आम आदमी की जिंदगी मुहाल कर दी है। चौक पोस्ट ऑफिस, हजरतगंज रतन स्क्वायर, राजाजीपुरम, आलमबाग, गोमतीनगर, इंडिरानगर, अलिगंज, अमीनाबाद, कैसरबाग, नाका, तालकटोरा और पुराने शहर के सभी केंद्रों पर सुबह 5-6 बजे से ही लोगों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं। ठंड की वजह से बुजुर्ग ठिठुरते हैं, महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर खड़ी रहती हैं, नौकरीपेशा लोग ऑफिस की छुट्टी काटकर आते हैं । 10 बजे तक 500-600 लोग जमा हो जाते हैं, दोपहर तक संख्या हजारों में पहुँच जाती है। ज्यादातर लोग खाली हाथ निराश लौटते हैं, कल फिर आने की मजबूरी के साथ।
पैन-आधार लिंकिंग की डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 नजदीक आने से रश और बढ़ गया है। साथ ही नवंबर से शुरू हुई वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने भी लोगों को आधार ठीक कराने के लिए मजबूर कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में आधार को 12 वैध दस्तावेजों में शामिल किया गया है। जिनके पास पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या कोई अन्य मजबूत कागजात नहीं हैं, उनके लिए आधार ही एकमात्र पहचान पत्र है। अगर उसमें नाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, जेंडर या पता गलत है, तो वोटर लिस्ट से नाम कट सकता है। यही डर लोगों को सुबह-सुबह केंद्रों पर खींच ला रहा है।
लखनऊ में 171 से ज्यादा आधार केंद्र हैं, जिनमें बैंक, पोस्ट ऑफिस और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) शामिल हैं। फिर भी चौक जैसे सेंट्रल इलाकों में सिर्फ एक-दो बड़े पोस्ट ऑफिस में ही सुविधा है। यशोदा गर्ल्स इंटर कॉलेज, मंसूर नगर, कैसरबाग, अमीनाबाद, नाका, तालकटोरा सहित सैकड़ों छोटे-बड़े पोस्ट ऑफिस हैं, मगर वहां आधार अपडेट की मशीन तक नहीं है। लोग सवाल उठा रहे हैं, “इतने पोस्ट ऑफिस हैं, इतने बैंक हैं, फिर क्यों सिर्फ एक-दो जगह मारामारी?
क्या सरकार को जनता की परेशानी दिखाई नहीं देती?
सबसे बड़ी शिकायत यह है कि ऑनलाइन सिर्फ पता (एड्रेस) ही घर बैठे बदल सकते हैं – myAadhaar पोर्टल पर वैलिड प्रूफ अपलोड करके। मगर नाम, जन्मतिथि (DoB), मोबाइल नंबर, जेंडर आदि बदलने के लिए केंद्र जाना अनिवार्य है, बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट/आंखों की स्कैन) वेरिफिकेशन जरूरी है। पहले ऐसा नहीं था, नाम/DoB भी ऑनलाइन हो जाते थे, लेकिन फ्रॉड रोकने के नाम पर बंद कर दिया। अब लोग कहते हैं, “ये कौन सा न्याय है? वोटर ID में तो घर बैठे सब ठीक हो जाता है – NVSP पोर्टल या Voter Helpline ऐप पर फॉर्म भरिए, डॉक्यूमेंट अपलोड करिए, 15 दिन में नया कार्ड घर पर। आधार में क्यों नहीं हो सकता? फिंगरप्रिंट तो लिए जा चुके हैं, जवान लोग हैं, बच्चे हैं – बायोमेट्रिक सिर्फ 10-15 साल बाद जरूरी होना चाहिए, जब उंगलियां घिस जाएं या मैचिंग खत्म हो जाए।”
चौक पोस्ट ऑफिस के बाहर खड़े 70 साल के बुजुर्ग श्यामलाल ने बताया, “साहब, सुबह 4 बजे से खड़ा हूँ। DoB में 2 साल का फर्क है, वोटर लिस्ट में दिक्कत आ रही है। टोकन खत्म हो गए। कल फिर आना पड़ेगा। पैर दुख रहे हैं, मगर क्या करें? ऑनलाइन सिर्फ पता बदलता है, DoB के लिए यहां मारामारी।” पास में खड़ी शबनम खातून बोलीं, “मोबाइल नंबर बदलना है, OTP नहीं आ रहा। केंद्र वाले कहते हैं बायोमेट्रिक कराओ। बच्चे स्कूल गए भूखे, मैं यहां लाइन में। सरकार सिर्फ धार्मिक सियासत में लगी है, जनता की मूलभूत परेशानियां अनदेखी।”
हजरतगंज रतन स्क्वायर पर तो हालात और बदतर हैं। वहां एक ही काउंटर, दिन भर में 50-60 लोग ही काम करा पाते हैं। एक युवती ने गुस्से में कहा, “शादी के बाद नाम और जेंडर बदलना है। ऑनलाइन क्यों नहीं? हम जवान हैं, फिंगरप्रिंट पुराने नहीं हुए। ये बेवजह की टॉर्चर है, सुबह से शाम तक खड़ा करना कौन सा विकास है?” राजाजीपुरम के CSC सेंटर पर भी पुलिस बुलानी पड़ती है भीड़ कंट्रोल करने। आलमबाग में एक नौजवान ने कहा, “मोबाइल नंबर लिंक नहीं है, ऑनलाइन कुछ नहीं होता। केंद्र आओ, बायोमेट्रिक कराओ – फीस ₹75-125 दो। सरकार को शर्म नहीं आती?”
लोगों की मांग साफ है
नाम, DoB, मोबाइल नंबर, जेंडर को ऑनलाइन करो, जैसे पहले था। डॉक्यूमेंट अपलोड करके वेरिफाई कर लो। बायोमेट्रिक सिर्फ जरूरत पड़ने पर – बुजुर्गों या जब मैचिंग फेल हो। बच्चों, युवाओं, महिलाओं को बार-बार केंद्र न भगाओ। हर पोस्ट ऑफिस, हर बैंक में आधार मशीन लगाओ। टोकन सिस्टम ऑनलाइन करो, अपॉइंटमेंट आसान करो। वोटर ID की तरह आधार में भी पूरा डेमोग्राफिक अपडेट घर बैठे हो।
UIDAI कहता है अपॉइंटमेंट बुक करो (appointments.uidai.gov.in), हेल्पलाइन 1947 डायल करो। मगर हकीकत? अपॉइंटमेंट महीनों बाद, हेल्पलाइन व्यस्त रहती है। प्रचार नाममात्र का। केंद्रों पर कर्मचारी भी सही नहीं बताते, उल्टे कहते हैं “यहां आ जाओ”। जून 2026 तक ऑनलाइन पता अपडेट फ्री है, मगर बाकी सबके लिए केंद्र और फीस। DoB जीवन में एक बार, नाम दो बार – ज्यादा के लिए रीजनल ऑफिस भागो।
विशेषज्ञ कहते हैं, आधार में बायोमेट्रिक सिक्योरिटी के लिए सख्ती ठीक, मगर जनता पूछती है, “PAN, पासपोर्ट, वोटर ID में ऑनलाइन सुधार आसान क्यों? आधार में क्यों इतना टॉर्चर?” SIR में BLO घर-घर आएंगे फॉर्म भरवाने, मगर आधार गलत तो वोटर लिस्ट से नाम कटेगा ही। पैन लिंक नहीं किया तो PAN इनएक्टिव, टैक्स प्रॉब्लम।
सरकार पर आरोप लग रहे हैं – मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी, सिर्फ राजनीतिक और धार्मिक लड़ाइयों में उलझी हुई। लोग कहते हैं, “धार्मिक मुद्दों पर तो दिन-रात बहस, मगर आधार-पैन-वोटर जैसी रोजमर्रा की समस्याओं पर आंखें मूंदी हुईं।” अगर जल्दी सुधार नहीं हुआ – ऑनलाइन सुविधा बहाल नहीं की, केंद्र नहीं बढ़ाए – तो ये भीड़ बवाल बन सकती है, सड़कों पर प्रदर्शन हो सकते हैं।
जनता की गुहार है, “हे सरकार, अब तो जागो। पुरानी ऑनलाइन सुविधा वापस लाओ – नाम, DoB, मोबाइल सब घर बैठे ठीक हो। बायोमेट्रिक सिर्फ जरूरी केस में। केंद्रों की संख्या दोगुनी करो। बेवजह सुबह 6 बजे लाइन मत लगवाओ। हमारी जिंदगी मत छीनो, हम वोटर हैं, टैक्सपेयर हैं।” देखना यह है कि UIDAI और उत्तर प्रदेश सरकार इस जन-आक्रोश को कितनी गंभीरता से लेती है, या फिर अनदेखी जारी रहेगी।



