लखनऊ, 29 जून। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने अवैध निर्माण और प्लॉटिंग के खिलाफ अपनी सख्त कार्रवाई को जारी रखते हुए गोसाईंगंज और काकोरी में 7 अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त किया। इसके साथ ही, गुड़म्बा और जानकीपुरम में अवैध रूप से बनाए जा रहे रो-हाउस भवनों को सील कर दिया गया। यह कार्रवाई एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के निर्देश पर की गई, जिनके नेतृत्व में शहर में अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
प्रवर्तन टीम ने गोसाईंगंज और काकोरी में लगभग 26 बीघा जमीन पर की जा रही अवैध प्लॉटिंग को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। इन क्षेत्रों में बिना प्राधिकरण की स्वीकृति के सड़कें, नालियां और बाउंड्री वॉल बनाए जा रहे थे। वहीं, गुड़म्बा के मिश्रपुर में पंचेश्वर मंदिर बाबा चौराहे के पास और जानकीपुरम के बृजधाम में अवैध रो-हाउस भवनों का निर्माण चल रहा था, जिन्हें प्राधिकरण ने सील कर दिया।
हालांकि, इस कार्रवाई के बावजूद लखनऊ विकास प्राधिकरण पर कुछ लोगों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि एलडीए की मिलीभगत के चलते कई अवैध निर्माण अभी भी जारी हैं। कुछ मामलों में यह भी सामने आया है कि जिन भवनों को सील किया गया था, वहां भी चोरी-छिपे निर्माण कार्य चल रहा है। एक चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब एक सील की गई बिल्डिंग में कथित तौर पर एक ऑफिस का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्राधिकरण की कार्रवाई केवल दिखावटी है या इसमें गंभीरता की कमी है?
एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि प्राधिकरण अवैध निर्माण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गोसाईंगंज, काकोरी, गुड़म्बा और जानकीपुरम सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नियमित रूप से सर्वेक्षण और कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संपत्ति की खरीद से पहले प्राधिकरण से उसकी वैधता की पुष्टि कर लें, ताकि भविष्य में आर्थिक और कानूनी नुकसान से बचा जा सके।
एलडीए ने यह भी चेतावनी दी है कि अवैध प्लॉटिंग और निर्माण करने वालों के खिलाफ भविष्य में और सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण ने एक विशेष सर्वेक्षण टीम गठित की है, जो लगातार अवैध गतिविधियों पर नजर रख रही है। स्थानीय निवासियों और प्रॉपर्टी डीलरों को सलाह दी गई है कि वे बिना स्वीकृति के कोई निर्माण कार्य न करें, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह कार्रवाई भले ही अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम हो, लेकिन जनता के बीच प्राधिकरण की विश्वसनीयता को लेकर सवाल बने हुए हैं। लोगों का कहना है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत पर पूरी तरह रोक नहीं लगती, तब तक ऐसी कार्रवाइयां आंशिक सफलता ही हासिल कर पाएंगी।
नागरिकों से अनुरोध किया गया है,वे किसी भी संपत्ति की खरीद से पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण की आधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय से संपर्क कर उसकी वैधता की जांच करें। अवैध निर्माण से संबंधित शिकायतों के लिए एलडीए के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।