लखनऊ, 10 अगस्त।पुराने लखनऊ के नजफ इलाके में स्थित मशहूर शायर स्वर्गीय शारिब लखनवी के निवास पर उनके पुत्र हबीब हैदर ने कल शाम 9 बजे एक मसालमें का आयोजन किया, जिसके बाद मजलिस का भी इनएक़ाद हुआ।शारिब लखनवी न केवल लखनऊ के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए शायरी के एक बेताज बादशाह थे। उनकी शायरी आज भी लोगों के दिलों में असर करती है, और वे अपनी तारीफ या नाम के मोहताज नहीं थे। उनके पुत्र हबीब हैदर भी एक वरिष्ठ शायर हैं, जिन्होंने घर पर इस सालाना मजलिस और मसालमें का आयोजन किया।मसालमें की शुरुआत तिलावत-ए-कलाम-ए-पाक से हुई। इसके बाद ताज लखनवी ने निज़ामत के फराएज़ अंजाम देते हुए एक-एक करके शायरों को दावत-ए-सुखन दी। इस दौरान मशहूर शायरों जैसे वकार सुल्तानपुरी, फरीद मुस्तफा, ज़की भारती, आज़ादार अज़मी, अज़हर मोहानी,ताज लखनवी, फैज़ान जाफर और सरोश लखनवी ने अपने कलाम पेश किए, जिन्होंने उपस्थित श्रोताओं के दिलों को रोशन किया।
मसालमें के समापन के बाद मौलाना दानिश ज़ैदी ने मजलिस को संबोधित किया। उन्होंने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि 1400 साल गुजर जाने के बावजूद यह गम आज भी इतना ताज़ा है, मानो कल ही हुआ हो। उन्होंने कहा कि यह जिक्र अल्लाह का वादा है, जो कभी मिट नहीं सकता। साथ ही, हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की बहादुरी और उनकी आखिरी जंग का ज़िक्र किया, जिसे सुनकर उपस्थित लोग भावुक हो गए और उनकी आंखें नम हो गईं।