लखनऊ, 30 जून । मध्य प्रदेश में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग की मंत्री संपतिया उइके एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त 30,000 करोड़ रुपये के कथित दुरुपयोग और 1000 करोड़ रुपये के कमीशन लेने के सनसनीखेज आरोपों ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। इन आरोपों के बाद विभाग ने स्वयं अपनी मंत्री के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं, जिसने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है।
शिकायत और जांच का आधार
पूर्व विधायक और संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समरीते ने 12 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जल जीवन मिशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। समरीते ने दावा किया कि PHE मंत्री संपतिया उइके ने इस योजना के तहत 1000 करोड़ रुपये का कमीशन लिया। इसके अलावा, उन्होंने पूर्व प्रमुख अभियंता (ENC) बी.के. सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे पर 2000 करोड़ रुपये के कमीशन का आरोप लगाया। शिकायत में यह भी कहा गया कि 2200 टेंडरों पर काम नहीं हुआ, फिर भी राशि निकाल ली गई, और केंद्र सरकार को 7000 फर्जी पूर्णता प्रमाणपत्र भेजे गए।
इस शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की। इसके जवाब में, PHE विभाग के प्रमुख अभियंता (ENC) संजय अंधवान ने 30 मई 2025 को सभी मुख्य अभियंताओं और मध्य प्रदेश जल निगम के परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर सात दिनों के भीतर तथ्यों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।
विभाग के दो अधिकारी भी जांच के दायरे में
मंत्री संपतिया उइके के साथ-साथ विभाग के दो अन्य अधिकारियों, जिनमें मंडला के कार्यपालन यंत्री शामिल हैं, की संपत्तियों की भी जांच के आदेश दिए गए हैं। शिकायत में इन अधिकारियों पर मंत्री के लिए कमीशन इकट्ठा करने का आरोप है। हालांकि, जांच की प्रगति और इसके परिणाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
विवाद का कारण है ,विभाग द्वारा ही जांच
इस मामले में सबसे बड़ा विवाद यह है कि मंत्री के खिलाफ जांच का जिम्मा उसी विभाग को सौंपा गया है, जिसकी वे स्वयं प्रमुख हैं। इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई लोग इसे निष्पक्षता पर सवालिया निशान मान रहे हैं। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने इस जांच प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए इसे “देश के बड़े घोटालों में से एक” करार दिया और सीबीआई जांच की मांग की है।
इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया, खासकर X पर, लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कई यूजर्स ने इसे “बेकाबू भ्रष्टाचार” का उदाहरण बताया और केंद्र सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। एक X पोस्ट में कहा गया, “किसी राज्य की मंत्री के खिलाफ केंद्र को दखल देना पड़े और PMO को रिपोर्ट मांगनी पड़े, यह सामान्य लोकतंत्र नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का तंत्र दर्शाता है।”
जल जीवन मिशन और मध्य प्रदेश
जल जीवन मिशन, केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से जल पहुँचाना है। मध्य प्रदेश को इस योजना के लिए 30,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस योजना में कथित अनियमितताओं ने न केवल राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि केंद्र सरकार की निगरानी व्यवस्था पर भी बहस छेड़ दी है।
PHE विभाग के प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने जांच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन वे इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इस बीच, मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री मोहन यादव पर सभी की निगाहें टिकी हैं कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाएँगे। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर ला सकता है।