लखनऊ, 6 नवंबर। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव 2025 के परिणाम आज घोषित हो गए, जिसमें लेफ्ट यूनिटी ने प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, जनरल सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी के चारों केंद्रीय पदों पर शानदार जीत हासिल की। कुल 9,043 पात्र मतदाताओं में से 67% ने वोट डाला, जो पिछले वर्ष के 70% से थोड़ा कम है, लेकिन दशक भर में सबसे अधिक 73% (2023-24) से नीचे। मतदान 4 नवंबर को दो चरणों में सुबह 9 से दोपहर 1 बजे और दोपहर 2:30 से शाम 5:30 बजे तक शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ, जिसमें कैंपस पर ढोल-नगाड़ों, नारों और कैंपेन गीतों की धूम रही। कोई बड़ी हिंसा या घटना नहीं हुई, हालांकि सुबह के समय कुछ बूथों पर लंबी कतारें लगीं और दोपहर में पहली बार वोट डालने वाले छात्रों की सक्रिय भागीदारी बढ़ गई।
गिनती 4 नवंबर रात 9 बजे शुरू हुई और आज शाम तक चली, जिसमें लेफ्ट यूनिटी (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन-आईसा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया-एसएफआई और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन का गठबंधन) ने सभी पदों पर बढ़त बनाए रखी। प्रेसिडेंट पद पर लेफ्ट की आदि मिश्रा ने 1,375 वोटों से बढ़त ली, जबकि एबीवीपी के विकास पटेल को 1,192 वोट मिले। अन्य उम्मीदवारों में एनएसयूआई के विकास बिश्नोई (करीब 200 वोट), बाप्सा के राज रतन राजोरिया (180 वोट), दिशा की शीर्षावा इंदु, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन की शिंदे विजयलक्ष्मी और स्वतंत्र उम्मीदवार अंगद सिंह शामिल थे। वाइस प्रेसिडेंट पर लेफ्ट की किजहाकूट गोपिका बाबू ने 2,146 वोट हासिल कर मजबूत बढ़त बनाई, एबीवीपी की तान्या कुमारी को 1,437 वोट मिले, जबकि एनएसयूआई के शेख शाहनवाज आलम को 88 वोट। जनरल सेक्रेटरी में लेफ्ट के सुनील यादव ने शुरुआती गिनती में 1,367 वोटों से एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे (1,496) से पीछे चल रही बढ़त को अंत में पलट दिया, जबकि बाप्सा के शुैब खान को 592 और एआईएसएफ के गोपी कृष्णन यू को 196 वोट मिले। जॉइंट सेक्रेटरी पर लेफ्ट के दानिश अली ने 1,777 वोटों से एबीवीपी के अनुज दामरा (1,684) को हराया। कुल 20 उम्मीदवार चार केंद्रीय पदों के लिए मैदान में थे, साथ ही 42 काउंसलर सीटों के लिए।
एबीवीपी ने अधिकांश काउंसलर पदों पर कब्जा जमाया, जहां उन्होंने स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) और अन्य सेंटरों में मजबूत प्रदर्शन किया। हालांकि, बाप्सा की कोमल देवी ने एसएसएस काउंसलर सीट जीतकर 11 वर्ष पुराना सूखा समाप्त किया। नोटा, ब्लैंक और अमान्य वोटों की संख्या 328 रही, जो छात्रों की सक्रियता को दर्शाती है। चुनाव समिति ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग और ग्रिवांस रिड्रेसल सेल का उपयोग किया।
कैंपेनिंग 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक चली, जिसमें प्रेसिडेंशियल डिबेट 2 नवंबर को हुई। लेफ्ट ने ‘इनक्लूजन, एक्सेसिबिलिटी और स्टूडेंट वेलफेयर’ पर जोर दिया, जबकि एबीवीपी ने ‘परफॉर्मेंस एंड नेशनलिज्म’ का नारा दिया। पूर्व जेएनयूएसयू प्रेसिडेंट ऐशे घोष ने दावा किया था कि लेफ्ट चारों सीटें जीतेगा, जो साकार हो गया।
यह चुनाव कैंपस राजनीति में लेफ्ट की वापसी का संकेत देता है, जो पिछले वर्ष एबीवीपी की जॉइंट सेक्रेटरी जीत के बाद चुनौती में था। छात्र संगठनों ने फीस वृद्धि, हॉस्टल सुविधाओं, कैंपस सिक्योरिटी और राष्ट्रीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी पर बहस की। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोड ऑफ कंडक्ट सख्ती से लागू किया, जिससे कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ। परिणामों के बाद कैंपस पर उत्साह व्याप्त है, और नए पैनल से छात्र कल्याण संबंधी नीतियों में बदलाव की उम्मीद है। यह जेएनयू की 11 वर्ष पुरानी लेफ्ट की ‘सूखे’ को पूरी तरह समाप्त करने वाला चुनाव साबित हुआ।



