HomeBIHARजातिगत जनगणना पर पटना के सियासी गलियारे में हलचल

जातिगत जनगणना पर पटना के सियासी गलियारे में हलचल

लखनऊ,1 मई । बिहार की राजधानी पटना में आज सुबह एक बड़ी सियासी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना को मंजूरी देने के फैसले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में नीतीश कुमार ने इसे बिहार के लिए ऐतिहासिक कदम करार दिया। बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी कदम है, जो सभी जातियों को उनके अधिकार दिलाने में मदद करेगा।नीतीश कुमार ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जातिगत जनगणना बिहार की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए एक मजबूत नींव रखेगी। यह लंबे समय से हमारी मांग थी, और अब यह हकीकत में बदल रही है।” हालांकि, विपक्षी दल राजद ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे चुनावी स्टंट करार दिया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने टिप्पणी की, “यह फैसला सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है। अगर सरकार गंभीर है, तो जनगणना के डेटा को पारदर्शी तरीके से लागू करे।”यह खबर बिहार की सियासत में आज सुबह से चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और यह फैसला राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।

क्या है जातिगत मतगणना ?

जातिगत मतगणना वह प्रक्रिया है जिसमें देश की जनसंख्या की जाति-आधारित जानकारी इकट्ठा की जाती है, जैसे कौन सी जाति कितनी संख्या में है। यह जनगणना का हिस्सा हो सकता है। इससे सरकार को जातियों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति समझने, आरक्षण और योजनाओं के बेहतर वितरण, और पिछड़ी जातियों के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलती है। लेकिन, इससे जातिगत भेदभाव, सामाजिक तनाव या संसाधनों के असमान वितरण का खतरा भी हो सकता है।

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