लखनऊ,2 जून । गाजा के रफाह क्षेत्र में इसराइली गोलाबारी में 31 लोगों की मौत की खबर ने विश्व समुदाय को झकझोर दिया। यह हमला एक सहायता केंद्र के पास हुआ, जहां लोग भोजन और चिकित्सा सहायता के लिए एकत्र थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इसराइली सेना ने हवाई हमले किए, जिससे कई नागरिक मारे गए। इसराइली सेना ने इस हमले में आतंकवादियों को निशाना बनाने का दावा किया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इसे युद्ध अपराध करार दिया है। लखनऊ में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की है।विश्व समुदाय की चुप्पी इस घटना को और विवादास्पद बना रही है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की गई है, लेकिन प्रमुख देशों ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लखनऊ के विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ. रीता सक्सेना ने कहा, “वैश्विक शक्तियों का मौन मानवता के लिए शर्मनाक है।” गाजा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है, क्योंकि अस्पतालों में दवाइयों और बिजली की कमी है। इस हमले ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है, और बच्चों व महिलाओं की स्थिति सबसे गंभीर है।लखनऊ में इस घटना के खिलाफ कई सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन की योजना बनाई है। स्थानीय मस्जिदों और सामुदायिक केंद्रों में लोग इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। एक स्थानीय कार्यकर्ता मोहम्मद अहमद ने कहा, “यह सिर्फ गाजा की समस्या नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए मानवता का सवाल है।”
मानवाधिकार संगठनों ने इसराइल से तत्काल युद्धविराम और गाजा में सहायता पहुंचाने की मांग की है। लखनऊ के नागरिकों ने भी सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया है, और वैश्विक समुदाय से कार्रवाई की मांग की जा रही है। यह घटना एक बार फिर मानवता के सामने नैतिक सवाल खड़ा करती है।



