HomeCITYआम महोत्सव के शुभारंभ पर लखनऊ महोत्सव के अंजाम पर रोना आया

आम महोत्सव के शुभारंभ पर लखनऊ महोत्सव के अंजाम पर रोना आया

उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ

लखनऊ, 4 जुलाई। लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में 4 जुलाई 2025 की सुबह 10:00 बजे उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन का उद्घाटन किया और प्रगतिशील बागवानों को सम्मानित किया। यह महोत्सव 4 से 6 जुलाई तक चलेगा, जिसमें आम की 800 से अधिक प्रजातियां, जैसे दशहरी, चौसा, लंगड़ा, और नई विकसित प्रजातियां, प्रदर्शित की जाएंगी। उद्घाटन के दिन क्रेता-विक्रेता सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें आम के निर्यात को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। मलिहाबाद के प्रसिद्ध दशहरी आम और अन्य प्रजातियों की प्रदर्शनी ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश आम उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, और मलिहाबाद के आम लंदन, दुबई, और सऊदी अरब जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने बागवानों को नई तकनीकों और जैविक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। पहले दिन की शाम को भोजपुरी गायक पवन सिंह की प्रस्तुति भी होगी, जो स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी। इस आयोजन ने आम के आयात-निर्यात को बढ़ावा देने और उत्तर प्रदेश की बागवानी को वैश्विक मंच पर ले जाने का माहौल बनाया है। 

इस आयोजन के बीच लखनऊ महोत्सव की अनुपस्थिति ने खड़े किए कई सवाल

लखनऊ महोत्सव, जो लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब, जरदोजी, चिकनकारी, तहजीब, सभ्यता, और भाषा का प्रतीक रहा है, पिछले कई वर्षों से आयोजित नहीं हो रहा है। जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई है, तब से लखनऊ महोत्सव को कभी कोरोना महामारी, कभी संसाधनों की कमी, तो कभी अन्य कारणों के नाम पर स्थगित किया जा रहा है। यह महोत्सव लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान को देश और विदेश में उजागर करता था, जिसमें हिंदू-मुस्लिम एकता, प्यार, और मोहब्बत का संदेश पूरी दुनिया में जाता था। स्थानीय सांस्कृतिक संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि लखनऊ महोत्सव की अनुपस्थिति से शहर की सांस्कृतिक विरासत पर असर पड़ रहा है। लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब, जो इस शहर की जान है, को बढ़ावा देने में यह महोत्सव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब आम महोत्सव जैसे आयोजनों के लिए इतना भव्य प्रबंध किया जा सकता है, तो लखनऊ महोत्सव को बार-बार स्थगित करने का कारण क्या है? क्या सरकार इसकी अनदेखी जानबूझकर कर रही है? क्या लखनऊ की इस सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोई साजिश है? आलोचकों का कहना है कि लखनऊ महोत्सव की अनुपस्थिति से शहर की सांस्कृतिक पहचान पर गहरा असर पड़ रहा है।

कोई भी साजिश या उपेक्षा इस तहजीब को मिटा नहीं सकती

यह महोत्सव लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान को देश और विदेश में उजागर करता था, जिसमें हिंदू-मुस्लिम एकता, प्यार, और मोहब्बत का संदेश पूरी दुनिया में जाता था। स्थानीय सांस्कृतिक संगठनों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि लखनऊ महोत्सव लखनऊ की जान है। यह आयोजन न केवल शहर की जरदोजी और चिकनकारी जैसे हस्तशिल्प को बढ़ावा देता था, बल्कि लखनऊ की सभ्यता, तहजीब, और भाषा को भी वैश्विक मंच पर ले जाता था। आलोचकों ने सवाल उठाया है कि जब आम महोत्सव जैसे आयोजनों के लिए इतना भव्य प्रबंध किया जा सकता है, तो लखनऊ महोत्सव को बार-बार स्थगित करने का कारण क्या है? क्या सरकार इसकी अनदेखी जानबूझकर कर रही है? क्या लखनऊ की इस सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोई साजिश है? लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब, जो हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है, आज भी उतनी ही मजबूत है जितनी पहले थी। कोई भी साजिश या उपेक्षा इस तहजीब को मिटा नहीं सकती। फिर भी, लखनऊ महोत्सव की अनुपस्थिति से स्थानीय लोग और सांस्कृतिक प्रेमी निराश हैं। कई लोगों का कहना है कि यह महोत्सव लखनऊ की अखंडता और सांस्कृतिक रंग को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता था, और इसकी अनुपस्थिति से शहर की पहचान को नुकसान पहुंच रहा है। दूसरी ओर, आम महोत्सव का आयोजन इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश सरकार बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक कर सकती है। मलिहाबाद के दशहरी आम की ख्याति पूरी दुनिया में है, और यह महोत्सव आम की नई प्रजातियों को प्रदर्शित करने का एक शानदार मंच है। इस आयोजन से आम के आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, और उत्तर प्रदेश की बागवानी को वैश्विक बाजार में नई ऊंचाइयां मिलेंगी। लेकिन सवाल यह है कि जब सरकार आम महोत्सव जैसे आयोजनों पर इतना ध्यान दे सकती है, तो लखनऊ महोत्सव को पुनर्जनन क्यों नहीं दिया जा रहा? आलोचकों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ महोत्सव के स्थगन के कारणों पर स्पष्ट जवाब दें। क्या सरकार इस सांस्कृतिक आयोजन को पुनर्जनन की योजना बना रही है? क्या लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत को फिर से उजागर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे?

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