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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आत्मघाती हमले में 13 सैनिकों की मौत

लखनऊ, 28 जून । पाकिस्तान के लिए आतंकवाद अब एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह न केवल भारत के लिए खतरा है, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी शुरू से ही एक बड़ा संकट रहा है। आतंकवादियों का मकसद स्पष्ट नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में बेगुनाह शिया मुसलमानों की हत्याएं, मस्जिदों और इमामबाड़ों में बम विस्फोट, और जुलूसों के दौरान आत्मघाती हमले कोई नई बात नहीं हैं। ये आतंकवादी मुसलमानों पर ही जुल्म ढाने से नहीं चूकते। भारत में भी इनका असर देखा गया है, खासकर कश्मीर में, जहां कई बार आतंकी हमले हुए हैं। हाल ही में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध जैसी स्थिति बनी थी, लेकिन अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद संघर्षविराम हुआ, वरना दोनों देशों के बीच बड़ी जंग छिड़ सकती थी। इसी सिलसिले में, पाकिस्तान में आतंकवादियों ने अब सीमा सुरक्षा बलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी वजीरिस्तान जिले के खड्डी इलाके में एक सैन्य काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ। इस हमले में एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदी गाड़ी को सैन्य काफिले में घुसेड़ दिया, जिससे 13 सैनिक मारे गए और 29 लोग घायल हुए, जिनमें 10 सैनिक और 19 नागरिक शामिल हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, विस्फोट इतना जोरदार था कि आसपास के दो घरों की छतें ढह गईं, जिसमें छह बच्चे घायल हुए। चार सैनिकों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस हमले की जिम्मेदारी हाफिज गुल बहादुर समूह की आत्मघाती इकाई, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हिस्सा है, ने ली है।

पाकिस्तान में आतंकवाद का बढ़ता ग्राफ चिंताजनक है। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के अनुसार, 2023 में 748 लोगों की तुलना में 2024 में आतंकी हमलों में 1,081 लोगों की मौत हुई, जो 45% की वृद्धि दर्शाता है।
यह हमला संभवतः चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े क्षेत्रों में असंतोष का परिणाम हो सकता है, क्योंकि आतंकवादी संगठन CPEC परियोजनाओं को निशाना बनाते रहे हैं। स्थानीय समुदायों का आरोप है कि ये परियोजनाएं उनकी आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। पाकिस्तान सरकार ने इस हमले की निंदा की है और जांच शुरू कर दी है। सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया है, और घायलों को नजदीकी सैन्य अस्पतालों में भर्ती किया गया है।

लंबे समय तक आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान अब खुद इसके शिकार में है। विश्लेषकों का मानना है कि TTP और अन्य आतंकी समूहों की सक्रियता अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से बढ़ी है। इस्लामाबाद का आरोप है कि अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ हमलों के लिए होने दे रहा है, जिसे काबुल ने खारिज किया है। यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को और उजागर करती है।

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