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सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक लगाईं रोक
लखनऊ, संवाददाता | केंद्र सरकार की ओर से लाए गए 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले एक महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं | मंगलवार को इस आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की | इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है | साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के क्रम में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है | इस कमेटी की जिम्मेदारी इन मुद्दों को सुलझाने की होगी |
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई 4 सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपेंद्र सिंह मान, किसानों के संगठन शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान के प्रमोद के जोशी शामिल हैं |ये सभी 4 सदस्य किसानों के मुद्दों को सुलझाने के उपायों पर काम करेंगे |
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रधान हैं | कृषि कानूनों का विरोध कर रही किसान यूनियनों में यह भी शामिल है | वहीं अनिल घनवंत किसान संगठन शेतकारी संगठन के सदस्य हैं और अनिल घनवंत कृषि कानूनों की वापसी के पक्ष में नहीं रहे हैं | वह ये कह भी चुके हैं कि इन कानूनों को वापस लेने की कोई जरूरत नहीं है | इनके अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी कृषि कानूनों के समर्थन में रहे हैं | वह 1991 से लेकर 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे हैं |
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है. उसने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं |
कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे और किसान संगठनों से यह भी कहा कि यह राजनीति नहीं है | राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा |
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणयन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है | सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया है , इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी है | सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर ‘जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे’| अदालत की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े की तुलना भगवान से कर दी |
दरअसल CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि बार के सदस्यों को न्यायिक प्रक्रिया के प्रति कुछ निष्ठा दिखानी होगी | यदि यह आपके पक्ष में नहीं है तो आप इस प्रक्रिया को अस्वीकार नहीं कर सकते | आपको हमारे साथ सहयोग करना होगा और उसी अनुसार मुवक्किल से बात करनी होगी | आप अपने मुवक्किलों को कुछ सकारात्मक बताए बिना हमें नकारात्मक नहीं बता सकते |
इसके बाद एडवोकेट किसानों के एमएल शर्मा ने CJI को संबोधित करते हुए कहा कि आप साक्षात भगवान हैं | इसी सुनवाई के दौरान शर्मा ने कहा, किसान कह रहे हैं कि कई लोग चर्चा के लिए आए लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आए | जिस पर सीजेआई ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते | वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं |
किसानों की जीत है सुप्रीम कोर्ट का स्टे- एपी सिंह
वहीं कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में वकील शर्मा ने कहा- ‘कोर्ट ने कमेटी में बनाई है | सब किसानों की बात सुनी जाएगी | सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के लागू होने पर फिलहाल स्टे लगा दी है | कोर्ट ने कहा है कि प्रदर्शन का अधिकार सबके पास है और पुलिस किसी भी किसान को दिल्ली में आने से नहीं रोक सकती जो शांति से आ रहे है |
वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर वकील एपी सिंह ने कहा, ‘ये किसानों की जीत है उन कानूनों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया है |हमने कमेटी के लिए कुछ लोगों के नाम सुझाए हैं | कानूनों पर रोक लगाना कहीं न कहीं किसानों की सबसे बड़ी जीत है | अब हम अपने क्लाइंट से बात करेंगे कि कुमेटी में किस को रखेंगे | दूसरी ओर अदालत के फैसले के बाद भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने कमेटी बनाने की बात की है जो लीगल लोग बैठकर बात करेंगे, हम चर्चा करके बताएंगे |
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