लखनऊ (सवांददाता) सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का ओडिशा के चांदीपुर में सोमवार को सफल परीक्षण किया गया। जमीन से जमीन पर प्रहार करने वाली मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का सुबह 10:30 बजे बालेश्वर के चांदीपुर में परीक्षण किया गया। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई है| ये अबतक कि सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) व रूस के एनपीओएम ने संयुक्त रूप से विकास किया है। यह मिसाइल ध्वनि की आवाज से भी तीन गुना अधिक रफ्तार से उड़ान भरती है। इस परीक्षण से सशस्त्र सेनाओं को अधिक समय के लिए मिसाइल मिल सकेगी।
ब्रह्मोस को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल 290 किमी मार करने की क्षमता रखती है। सेना में शामिल हो चुकी इस मिसाइल का विगत कई सालों से सफलता पूर्वक परीक्षण किया जाता रहा है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र है। क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र एक ऐसा सुपरसोनिक क्रूज़ है जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडार की आँख से बच जाती है। ब्रह्मोस का विकास ब्रह्मोस कोर्पोरेशन द्वारा किया जा रहा है। यह कम्पनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।
प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता।