सीबीआई में सरकार का हस्ताक्षेप है गम्भीर प्रकरण
लखनऊ (सवांददाता) देश की ऐसी जांच एजेंसी जिस पर न्यायपालिका के बाद जनता बेहद यक़ीन करती है और उस जांच एजेंसी को भारत के लोग सीबीआई कहते है | किसी भी जांच एजेंसी पर भले ही पीड़ित को यक़ीन न हो लेकिन सीबीआई द्धारा जांच कराने के लिए धरने और प्रदर्शन तक करने पर आमादा हो जाते है | सीबीआई पर देश की जनता को जो यक़ीन था उस यक़ीन के चाँद पर कही न कही ग्रहण ज़रूर लग गया है | क्योकि सीबीआई के जिन प्रमुख अधिकारीयों ने एक दूसरे पर रिश्वत के आरोप लगाए है, वो कोई आम बात नहीं | सिर्फ बात यही तक सीमित नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में सीबीआई ने शक के कटघरे में खड़ा कर दिया है | आज इसी मामले को लेकर कई राजनितिक दलों ने केंद्र सरकर के विरोध ज़बानी ज़हर उगला है | बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने जहां देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआइ में जारी विवाद को बेहद अफसोस नाक बताया है वही उन्होंने मोदी सरकार को भी इस मामले में दोषी करार दिया है | उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने किये जाने की मांग की है । बसपा प्रमुख ने कहा कि ताजा घटनाक्रम से जनता में अनेक भ्रांतियां पैदा हो रही हैं। इस पर मीडिया में लगातार हो रही बहस से आम लोगों का सीबीआइ से भरोसा उठ गया है। सीबीआइ में पिछले कई दिनों से जारी आरोप- प्रत्यारोप के बाद सरकार द्धारा की गई कार्रवाई का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अब यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष चला गया है इसलिए जो सत्यता है वो जल्द ही सामने आ जाएगी |
मायावती ने आज जारी अपने बयान में कहा कि सीबीआइ में पहले से ही विभिन्न प्रकार के हस्तक्षेपों के कारण काफी कुछ गलत होता रहा है। अब इस एजेंसी में जो उठापटक हो रही है, वह देश के लिए बड़ी चिंताजनक है। इस आपसी खींचतान के लिए अफसरों से ज्यादा सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकर की जातिवादी तथा सांप्रदायिकता आधारित नीतियों और कार्यों ने केवल सीबीआइ ही नहीं वरन हर उच्च सरकारी, संवैधानिक व स्वायत्त संस्था को संकट और तनाव में डाल रखा है।
मायावती ने सेंट्रल विजीलेंस कमीशन (सीवीसी) की भूमिका पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार को खुद लगे राफेल व विजय माल्या जैसे प्रकरणों के काले धब्बे तो अच्छे लगते है परंतु विपक्षी नेताओं के खिलाफ सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग खूब किया जाता है। उन्होंने कहा कि सीबीआइ पर भरोसा बहाल करने के लिए जरूरी है कि न्यायालय इस मामले को विस्तार और प्रभावी रूप से संज्ञान में ले।
यही नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने भी सीबीआइ के शीर्ष अधिकारियों में जारी विवाद पर सरकार को घेरा है । उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल लडाकू विमान घोटाला भी विवाद की जड़ में है। बुधवार को पार्टी कार्यालय में उन्होंने बताया कि सीबीआइ के एक अधिकारी द्धारा राफेल से जुड़े कागजात जुटाए जा रहे थे। जिसके चलते तकरार बढ़ी है। राजबब्बर ने कहा कि कांग्रेस शासन काल में सीबीआइ को सरकार का तोता बताने वालों के राज में क्या हो रहा है ? यह किसी से छिपा नहीं | इस सर्वोच्च जांच एजेंसी का इतना दुरुपयोग कभी नहीं हुआ। राफेल घोटाले की तरह से सीबीआइ संकट पर भी प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी दाल में बहुत कुछ काला होना सिद्ध करता है। देश की सर्वोच्च संस्थाओं की विश्वनीयता बहाल करना पहली बड़ी चुनौती है।
सीबीआइ में विवाद को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खामोशी तोड़ कर जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।डा. मसूद ने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश में भाजपा सरकारों से आम जनता का भरोसा तेजी से उठता जा रहा है। नौकरशाहों की मनमानी लगाम लगा कर जनसामान्य को राहत देने में दोनों सरकारें नाकाम रही है। अराजकता की ऐसी स्थिति देश में कभी नहीं आई है। सुशासन देने में नाकाम रहे प्रधानमंत्री को फौरन चुप्पी तोडनी चाहिए।