लखनऊ (सवांददाता) भारतीय जनता पार्टी के लिए विपक्षी दलों की एकता धीरे-धीरे नासूर बनती जा रही हैं| इस बात से चिंतित भारतीय जनता पार्टी किसी भी हाल में 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना चाहती हैं| भाजपा पिछड़े समुदायों से संबंधित विधेयकों का पुरजोर समर्थन कर और अवैध आव्रजकों के खिलाफ अभियान के जरिये दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मुद्दे एवं हिंदुत्व एजेंडा के साथ अपना समर्थन आधार मजबूत करने की उम्मीद कर रही है। असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकृत को लेकर बढ़ते विवाद से अवैध बांग्लादेशी आव्रजकों का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर छा सकता है और इससे भाजपा को चुनाव में खासकर पूर्वी राज्यों एवं साथ ही हिंदी क्षेत्रों में फायदा मिलने की उम्मीद है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा की वकालत करने वाले दल के तौर पर पेश कर और विरोधी दलों के वोट बैंक को लेकर चिंतित होने का दावा कर विपक्ष को घेरने के लिए लगातार मुद्दा उठाते रहे हैं। 2014 में मिले दलितों के भरपूर वोट 2019 के चुनाव में पूरी तरह बरकरार रहें, इसके लिए भाजपा पुरज़ोर कोशिश कर रही हैं। पार्टी प्रबंधकों ने कहा कि दलितों के प्रति अत्याचार से जुड़े कानून को ‘‘कमजोर करने’’ वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने वाला विधेयक लोकसभा में पेश करने से समुदाय के वर्गों का दिल जीतने की उसकी कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में समुदाय का समर्थन उसके लिए अहम है जहां घोर विरोधी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उसके खिलाफ हाथ मिला लिए हैं। भाजपा को मौजूदा मानसून सत्र में विधेयक संसद में पारित कराने की उम्मीद है। 10 अगस्त को सत्र का समापन होगा। सत्तारूढ़ दल अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) में अपना समर्थन आधार मजबूत करने के लिए एक और विधेयक पर निर्भर है। पिछले हफ्ते लोकसभा में एक विधेयक पारित हुआ था जो ओबीसी आयोग को दलितों एवं जनजातियों से जुड़े आयोगों की तरह अधिकार के साथ संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित है।