लखनऊ ,संवाददाता । ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी ने आंतकवाद के सफ़ाए मेँ जो भूमिका निभाई थी वो अपने आप मे एक मिसाल हैं | वो ईरान ही नहीं अधिकतर मुस्लिम देशों मे बहुत ही लोकप्रिय थे ,उनकी हत्या एक सोची समझी साज़िश के अलावा और कुछ नहीं थी | हालाँकि अमेरिका के अधिकतर सांसद ट्रैम्प द्वारा करवाए गए इस हमले कि निंदा करते हुए नज़र आ रहे थे | सांसदों का कहना था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैसला लेकर अमेरिका और अमेरिकियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। ये सांसद इसलिए भी खफा थे क्योंकि इस फैसले से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने सदन को किसी भी तरह से विश्वास में नहीं लिया था।
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। कासिम की शहादत का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों से लेकर कच्चे तेल के भाव पर देखने को मिला था। इसके बाद हुई ईरानी कार्रवाई को भी दुनिया ने देखा है।
अमेरिकी सदन मे एक प्रस्ताव लाया गया हैं जिसके पास होने बाद राष्ट्रपति ट्रंप को ईरान के खिलाफ युद्ध का एलान करने से पहले कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होगी। हालांकि अभी इस प्रस्ताव का ऊपरी सदन में पास होना बाकी है। इस प्रस्ताव को सीआईए की पूर्व एनालिस्ट एक्सपर्ट और कांग्रेस की नेता एलिसा स्लॉटकिन ने पेश किया। i
हालाँकि अभी 3 दिन पूर्व जो ईरान और अमेरिका के हालात हो गए थे उससे अंदाज़ लगाया जा रहा था कि अब ये युद्ध टलने वाला नहीं ,लेकिन उधर अमेरिका मे ट्रम्प के वहीँ के सांसदों ने नकेल डाली जिससे बेलगाम ट्रैम्प अब अपने होश मे आ चुके है | इसके बावजूद आयतुल्लाह खामनै का ये बयान जिसमे उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने कमांडर सुलेमानी की शहादत का अमेरिका से बदला ले लिया हैं | सार्थक साबित हुए |
इसी बीच भारत मे ईरान के राजदूत का वो बयान ,जिसमे उन्होंने कहा था कि वो भारत द्वारा दोनों मुल्कों मे शांति बनाए रखने के प्रयास का स्वागत करेगा और उसके बाद अमेरिका की ओर से भी इसी तरह की बात कही गई हैं |
इससे प्रतीत होता हसी कि मध्यपूर्व सहित पूरे विश्व में जारी तनाव को कम करने में भारत अहम् भूमिका निभा सकता हैं |