लखनऊ (सवांददाता) देश में अक्सर धरना, प्रदर्शन और सड़क दुर्घटना के बाद भीड़ द्वारा जान से मारने यानि (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं से परेशान केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए सार्थक कदम उठाने का फैसला लिया है। इसके तहत केंद्र ने गृहसचिव की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी चार हफ्ते के भीतर मॉब लिंचिंग के रोकने के उपायों पर अपनी रिपोर्ट देगी। इसके साथ ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह (जीओएम) भी बनाया है। जीओएम कमेटी की शिफारिशों पर विचार करेगी। जीओएम इन मामलों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप देगी।
सनद रहे कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह अब तक इस मामले पर ये कहते रहे है कि ये मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है और इसे रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
जानकारी के अनुसार केंद्र मॉब लिंचिंग को दंडनीय अपराध में शामिल करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन कर सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी 17 जुलाई को केंद्र सरकार से मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने का आदेश देते हुए कई दिशानिर्देश भी जारी किये थे।
गृहमंत्री के नेतृत्व वाली जीओएम में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सड़क परिवाहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत शामिल हैं।