HomeINDIAभारत में श्रमिकों के वेतन का इंतजाम न होने के कारण ...
भारत में श्रमिकों के वेतन का इंतजाम न होने के कारण बेरोजगारी बढ़ने के खतरा
औद्योगिक इकाइयों के पास अप्रैल से जून तक की सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं: सीआइआइ
लखनऊ ,संवाददाता| सीआइआइ ने आज एक चौकाने वाला दावा करते हुए कहा है कि लॉकडाउन के बाद से श्रमिकों के वेतन का इंतजाम न होने के कारण बेरोजगारी बढ़ने के खतरा बढ़ जाएगा | प्रवासी श्रमिकों को रोकने के लिए फ़ौरन उनके खाते में पैसे डाले जाने की ज़रूरत है। औद्योगिक संगठन के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में 47.9 करोड़ लोगों को मदद की आवश्यकता है। इनमें से 12 करोड़ लोग कैजुअल श्रमिक है। 6.5 करोड़ लोग अपना खुद का छोटा-मोटा काम करते है। 4.8 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें नियमित वेतन तो मिलते हैं लेकिन उन्हें पेड छुट्टी या सामाजिक सुरक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं है।औद्योगिक संगठन सीआइआइ ने सरकार से तत्काल प्रभाव से 15 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज देने की मांग की है। यह राशि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.5 फीसद के बराबर है। हॉलांकि इससे पहले सरकार 1.7 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज दे चुकी है।
सरकार से 2 लाख करोड़ रूपए की दरकार
सीआइआइ की माने तो कोविड-19 के कारण उत्पादन ठप रहने और आगे भी इसी तरह के अनुमान को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों के पास अप्रैल से जून तक के वेतन देने के लिए धनं नहीं होगा |
संगठन की तरफ से कर्मचारियों की सैलरी के इंतजाम के लिए सरकार की तरफ से 2 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की गई है। ऐसा नहीं होने पर उद्यमी कर्मचारियों को सैलरी देने में सक्षम नहीं होंगे जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी |
सीआइआइ का मानना है कि प्रवासी मजदूरों के खाते में पैसे आने पर वे अपने काम पर लौटने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
यही नहीं सीआइआइ ने की एमएसएमइ की क्रेडिट गारंटी सीमा को भी बढ़ाने की मांग की है साथ ही औद्योगिक संगठन ने एमएसएमइ की क्रेडिट गारंटी सीमा को भी बढ़ाने की मांग की है। सड़क, पोर्ट, रेलवे व औद्योगिक पार्क जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम में तेजी लाने के लिए सीआइआइ ने 4 लाख करोड़ रुपए के पैकेज घोषित किए जाने की मांग की है।
Post Views: 736