लखनऊ,संवाददाता | कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज़ों को अपनी जाँच करवाने में अब परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि अब मात्र पांच सेकंड के अंदर एक्स रे स्कैन द्वारा कोविड-19 का पता लगा लिया जाएगा | ये दावा आज आईआईटी-रुड़की के एक प्रोफेसर ने करते हुए बताया कि इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने में 40 दिनों से अधिक समय लगा । प्रोफेसर ने इसके लिए एक पेटेंट दायर किया है और समीक्षा के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से संपर्क किया है।
आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात प्रोफेसर कमल जैन का दावा है कि सॉफ्टवेयर न केवल परीक्षण लागत को कम करेगा, बल्कि स्वास्थ्य पेशेवरों के संपर्क में आने के जोखिम को भी कम करेगा। अब तक, चिकित्सा संस्थान द्वारा उनके दावे पर कोई बात नहीं कही गई है।
सूत्रों के अनुसार जैन ने इस मामले पर पीटीआई से बात करते हुए कहा है कि, ‘मैंने पहली बार 60,000 से अधिक एक्स-रे स्कैन का विश्लेषण करने के बाद एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित डेटाबेस( artificial intelligence-based database) विकसित किया है, जिसमें सीओवीआईडी -19, निमोनिया और तपेदिक, T B (tuberculosis) के रोगियों को शामिल किया गया। मैंने यूनाइटेड स्टेट्स के छाती एक्स-रे डेटाबेस का भी विश्लेषण किया।
जैन ने कहा कि सॉफ्टवेयर सटीक प्रारंभिक जांच में मदद कर सकता है। COVID-19 के कारण होने वाला निमोनिया अन्य बैक्टीरिया की तुलना में गंभीर होता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेज़ॅन विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए, डॉक्टर किसी व्यक्ति के एक्स-रे की तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर न केवल यह बताएगा कि रोगी को निमोनिया का कोई संकेत है या नहीं बल्कि यह भी बताएगा कि COVID-19 के कोई या अन्य किसी बीमारी के लक्षण हैं या नहीं। यह संक्रमण की गंभीरता को भी मापते हैं। परिणामों को पांच सेकंड के भीतर पता किया जा सकता है।