लखनऊ (संवाददाता)समाजवादी पार्टी में अपना धन लुटाने के बाद भी शायद पूर्व एमएलसी बुक्क़ल नवाब ने इतना नाम नहीं कमाया होगा जितना की वर्तमान भाजपा सरकार में एमएलसी बनने के बाद कमाया है |खास बात ये है की रक्षा बंधन के त्यौहार में उन्होंने तो कमाल का नया काम किया ,हालाँकि उन्होंने जो नया काम किया वो अधिकतर लोगों को पता चल चुका है लेकिन फिर भी आप लोगों को एक नई बात बताना ज़रूरी है | रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार भाई और बहन की रक्षा का एक वादा एक यक़ीन है ,और इसी यक़ीन को राखी बांधकर पूरा किया जाता है |अब नई बात ये है की बुक्क़ल नवाब ने जिन महिलाओं से हिन्दू धर्म को ध्यान में रखकर गायों की राखी बंधवाई तो आखिर उन्होंने क्या साबित किया |ज़ाहिर है की बहनों के भाई राखी बांधते हैं ,लेकिन महिलाओं से राखी बंधवाकर गाय माता को उन्होंने भाई बनवाकर हिन्दू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाई है|
इस मामले पर एक संभ्रांत हिन्दू व्यक्ति महेश चंद्र पांडेय ने दिए अपने बयान में कहा कि बुक्क़ल नवाब ने भाजपा की सदस्य्ता लेकर और अपने एमएलसी पद से इस्तीफा देकर जब खुद पर होने वाली जांचो से उन्होंने बचा लिया तो वो अब क्यों मदिरों में जाकर नौटंकी कर रहे हैं और मंदिरों को अपवित्र कर रहे हैं| उन्होंने कहा कि अगर वो सत्य में खुद के वंशजों को हिन्दू मानते हैं तो वो हिन्दू क्यों नहीं हो जाते |महेश ने कहा कि बुक्क़ल ने जो रक्षा बंधन कि पवित्र त्यौहार पर गाय माता को पुरुष बनाने की अशोभनीय हरकत की है उसके लिए वो समस्त हिन्दू भाइयों से क्षमा मांगें |उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता हैं ,इसलिए हम कोई अशोभनीय हरकत बर्दाश्त नहीं करेंगे| उन्होंने कहा कि बुक्क़ल जैसे समस्त मुसलमान अपनी मर्यादा में रहें |उन्होंने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपई की मजलिस और कुरआन ख्वानी करने वाले कौसर भी बुक्क़ल नवाब से कम नहीं हैं |वो भी भाजपा की नज़रों में अच्छा बनने कि लिए अपने ही धर्म की नज़रों में गिर गए और उनके ही धर्म कि लोगों ने उनको खूब खरी खोटी सुनाई | जो मुस्लमान हम हिन्दुओं को काफिर कहता है वो सरकार में अपनी पकड़ बनाने कि लिए काफिरों को पुन्ह के बहाने ऐसे कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं ,हम हिन्दू मुर्ख नहीं जो इन जैसों की बातों में आ जाएं |
उन्होंने कहा कि जो अपने धर्म का नहीं वो किसी के धर्म का नहीं हो सकता |
उन्होंने कहा कि ऐसे अवसरवादी लोग पहले भी थे और आज भी भें ,लेकिन शायद वो समझते हैं कि संसार में सब मुर्ख हैं|