लखनऊ ,संवाददाता |अपनी कविताओं से दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले गोपाल दास नीरज का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया| उनके निधन की खबर मिलते ही न सिर्फ हिंदी साहित्यजगत में दुख की लहर दौड़ गई बल्कि उर्दू साहित्यजगत में भी रंज ओ ग़म का माहौल है | दुनिया का कोई भी इंसान कुछ भी बन सकता है मगर कवि बनना बड़ा ही कठिन है ,क्योंकि इसे लोग खुदादाद सलाहियत मानते हैं । गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को यूपी के इटावा जिले के ग्राम पुरावली में हुआ था। वो बहुत कमसिन थे जब उनके पिता गुजर गये थे । 1942 में एटा से हाई स्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की,और उसके बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहाँ से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डी0ए0वी कॉलेज में क्लर्की की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पाँच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देकर 1949 में इण्टरमीडिएट, 1951 में बी0ए0 और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिंदी से एम0ए0 किया। यही नहीं स्वर्गीय गोपाल जी ने एक एम पी का चुनाव भी लड़ा था |