लखनऊ,संवाददाता | पर्यावरण और खेतों की उर्वरक क्षमता को बर्बाद होने से बचाने के लिए न्यायपालिका के आदेश के बाद प्रदेश सरकार और अन्य एजेंसियां इस प्रयास में जुटी हैं कि किसान पराली न जलाएं | इसी कारण खेतों में पराली नहीं जलाने की सख्त हिदायत दी गयी है | लेकिन सरकार द्वारा कोई उचित प्रबंध न होने के कारण किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हैं |
आजमगढ़ जिले में जहाँ खेतों में पराली जलाने के अबतक 15 मामले सामने आये हैं वहीँ प्रशासन ने 11 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ वसूली की कार्रवाई भी शुरू कर दी है |जिला प्रशासन पराली जलाने वालों पर जुर्माना के साथ-साथ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कर रहा है | पराली न जलाने के लिए जिला प्रशासन प्रचार- प्रसार भी करा रहा है , जो हर तहसील और ब्लाक में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं | इस मामले में किसान चन्द्रजीत ने बताया कि यदि किसान पराली नहीं जला सकते तो सरकार हर तहसीलों में अपनी मशीन लगवाकर पराली को काटकर चारे के रूप में इस्तेमाल करे. जैसा कि अन्य प्रदेशों की सरकारें कर रही हैं | इससे सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को भी चारा भी मिल जाएगा | उन्होंने कहा कि यदि किसानों पर मुकदमा दर्ज किया जायेगा, तो किसाना सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने को बाध्य होंगे |
इस मामले में एडीएम वित्त एवं राजस्व गुरू प्रसाद ने कहा कि खेत में पहली बार पराली जलाने पर ढ़ाई हजार से 15 हजार रुपए तक जुर्माना भरना होगा | दूसरी बार जलाने पर किसानों को जेल भी जाना पड़ेगा | किसानों में जागरुकता के लिए प्रचार वाहनों के जरिए ग्राम पंचायतों में फसल अवशेष प्रबंधन व पराली जलाने पर दंड के प्रावधान और फसल अवशेष प्रबंधन पर एनजीटी के गाइड लाइन से किसानों को जागरूक किया जा रहा है | वहीं जिले के किसान पराली जलाने पर एफआईआर व वसूली की कार्रवाई को लेकर सरकार के खिलाफ नजर आ रहे हैं |