लखनऊ (सवांददाता) रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर अनशन पर बैठे स्वामी परमहंस दास के स्वस्थ बिगड़ने के बाद उनको उनके आश्रम से इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था , लेकिन बावजूद इसके उन्होंने अपना अंशन समाप्त नहीं किया था , उनका कहना था कि जबतक रामजन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, वो अशंन नहीं तोड़ेंगे | लेकिन आख़िर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल उनके कान में जाने क्या कह दिया कि उन्होंने अपना अशंन तोड़ दिया | मुख्यमंत्री द्धारा कल उनका अशंन तुड़वाने के बाद आज उन्हें पीजीआई से छुट्टी दे दी गई। उनकी रवानगी के समय वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह, निदेशक प्रोफेसर राकेश कपूर समेत तमाम लोगों ने उन्हें विदा किया।
बताते चलें कि रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास अपने आश्रम में अनशन बैठे थे। उनका स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उन्हें एसजीपीजीआइ लखनऊ में भर्ती कराया गया था। कल शाम मुख्यमंत्री ने लखनऊ कार्यालय में परमहंस दास की मांग को गरिमामय व न्यायसंगत बताया और उनकी अन्य मांगों के अनुरूप प्रधानमंत्री से वार्ता कराने का वादा करके अशंन समाप्त कराया था ।
इस दौरान अयोध्या विधानसभा क्षेत्र के विधायक वेदप्रकाश गुप्त मौजूद रहे। दरअसल गुप्त ही लखनऊ के पीजीआइ अस्पताल में इलाज करा रहे महंत परमहंस दास को लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय पहुंचे थे। परमहंस दास ने मुख्यमंत्री के रुख का स्वागत किया और दोहराया कि उनका अशंन किसी सरकार के विरोध में नहीं था बल्कि राममंदिर निर्माण को लेकर था। परमहंस दास ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते मंदिर निर्माण कठिन नहीं है । लेकिन इस विश्वास के बावजूद आख़िर उन्होंने अशंन क्यों किया ये अपने आप में एक प्रश्न बनकर रह गया है | सनद रहे कि परमहंस दास एक अक्टूबर से अपने आश्रम के सामने ही अनशन पर थे। सात अक्टूबर की देर रात पुलिस उन्हें उठाकर पीजीआइ अस्पताल ले गई थी जहां पांच दिनों से उनका इलाज चल रहा था।