लखनऊ (ज़की भारतीय)अगर आपके घर या कार्यालय के बाहर कूड़े के ढेर पर कोई मरा हुआ जानवर बोरे में फ़ेंक गया है तो आपको पहले खुद ये देखना होगा की जानवर है कौन सा ? जी हाँ ये मज़ाक़ नहीं बाल्कि हक़ीक़त है |आज इसी तरह के मामले की सूचना ऐशबाग निवासी विश्वराम भट्ट ने दी है |
उनके बयान के अनुसार, ये कहना है नगर निगम के एक ज़िम्मेदार कर्मचारी का | कल भट्ट ने नगर निगम को ऑनलाइन टेलीफ़ोन न.05222307782 अपने कार्यालय गवर्मेंट प्रेस में भयंकर दुर्गन्ध आने की सूचना दर्ज करवाई थी | सूचना के बाद नगर निगम से भट्ट के पास फ़ोन आया और पूछा गया की कौन सा जानवर मरा है| भट्ट ने बताया की कूड़े से दुर्गंद आ रही है| इसपर उसने कहा की आप पहले ये देखिये की कौन सा जानवर है ,फिर किसी को भेजा जा सकता है वरना किसी को भेजना संभव नहीं है |
स्वच्छ भारत की मुहिम को मिट्टी में मिलाने के लिए ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों की कमी नहीं है | अगर कोई व्यक्ति शिकायत करे तो वो पहले मरे हुए जानवर को बोरे से निकाले उसे देखे फिर बताए की कौन सा जानवर मरा हुआ है |
केंद्र सरकार हो या प्रदेश सरकार, वो जनता की सुविधा के लिए कितने भी आसानी करे, कार्यालय ना दौड़ कर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाए ,लेकिन किसी भी शिकायत का निस्तारण आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है |सरकार ने आज हर विभाग में ऑनलाइन शिकायत करने की व्यवस्था तो बना दी है लेकिन अधिकारी व कर्मचारी आज भी हर शिकायत को टालने का काम कर रहे हैं |
अधिकतर शिकायतों का संज्ञान ही नहीं लिया जाता है और अगर किसी शिकायत का संज्ञान ले भी लिया जाता है तो उसमे इतने पेचो ख़म पैदा कर दिए जाते हैं कि शिकायतकर्ता उसी में उलझ जाता है |
स्वच्छ भारत का स्वप्ना देखने वाले देश के प्रधानमन्त्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री का ये स्वप्ना कैसे पूरा हो सकता है ,जब ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों की मनमानी चलती रहेगी |ये वो लोग हैं जो सरकारी वेतन लेना जानते हैं लेकिन काम करने के नाम पर कलंक हैं |यदि यही हाल रहा तो जहाँ भाजपा सरकार की छवि खराब होगी वहीँ ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई ना होने के कारण उनके हौसले बलन्द होते जाएंगे |