लखनऊ,संवाददाता | शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सय्यद वसीम रिज़वी बहुत दिनों तक मौन धारण करने के बाद अपने एक बयान के बाद फिर से चर्चा में आ गए हैं | जिस प्रकार के बयान वसीम रिज़वी देते आए हैं ,वैसे बयान आज तक भाजपा के सीनियर मुस्लिम नेताओं ने भी नहीं दिए हैं | हालाँकि वो नेता भाजपा में बड़े पदों पर भी रहे हैं और कुछ नेता अभी भी बड़े पदों पर विराजमान हैं |
सवाल ये है कि जब वसीम रिज़वी भाजपा के सदस्य भी नहीं हैं तो आखिर वो ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं जिस कारण मुसलमान भी उनके दुश्मन होते जा रहे हैं ? कोई उनकी हत्या करने की धमकी दे रहा है ,कोई उनको इस्लाम से ख़ारिज कर रहा है तो कोई उनकी जान की बड़ी क़ीमत लगा रहा है | इस मामले में अधिकतर मुसलमानों का कहना है कि वसीम रिज़वी को शिया वक़्फ़ बोर्ड में हुए खुर्द बुर्द की सीबीआई जांच से बचना है और पुनः चेयरमैन का पद चाहिए है इसलिए वो आरएसएस के इशारे पर चल रहे हैं | अगर इस बात को सत्य माना जाए तो आखिर वसीम रिज़वी को बोर्ड के चुनाव होने से पूर्व 6 माह का एक्सटेंशन क्यों नहीं मिला ? जबकि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन को 6 माह का एक्सटेंशन मिल चुका है | अगर वसीम रिज़वी के बयानात के पीछे आरएसएस होता तो वसीम चेयरमैन ज़रूर होते ,इसलिए इन बातों से स्पष्ट है कि वसीम रिज़वी द्वारा दिए जा रहे बयानों से आरएसएस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है | भले ही वसीम अपने बयानों से हिन्दू संप्रदाय को प्रसन्न करने में सफल हो रहे हों लेकिन उनके बयान से मुसलमान उनका शत्रु होता जा रहा है |
बहरहाल यूपी शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 को खत्म कर पुराने तमाम तोड़े गए मंदिरों को हिंदुओं को वापस देने और मुगलों के पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की है | बताते चलें कि मथुरा में जहाँ एक बार फिर कृष्ण जन्मभूमि से सटे ईदगाह मस्जिद को खाली करने की मांग उठ रही है वहीँ इस बारे में एक याचिका स्थानीय अदालत में भी की गई है |
वसीम रिजवी ने देश की 9 मस्जिदों का चिट्ठी में ज़िक्र किया है जिसमें श्री राम जन्मभूमि अयोध्या, केशव मंदिर श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, आदिना मस्जिद पश्चिम बंगाल,अटाला देव मंदिर जौनपुर, काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, भद्रकाली मंदिर अहमदाबाद, रुद्रा महालया मंदिर गुजरात, मस्जिद कुवत उल इस्लाम दिल्ली और विजया मंदिर मध्यप्रदेश शामिल है |
प्रधानमन्त्री को भेजे पत्र में रिजवी ने लिखा है कि 1991 में कांग्रेस पार्टी की सरकार में ‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991’ बनाया गया, जिसमें यह कानून बना दिया गया कि 1947 के बाद जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उनकी यथास्थिति बहाल रहेगी | ऐसे धार्मिक स्थलों का स्वरूप बदलने के लिए किसी भी तरह का कोई वाद किसी भी न्यायालय में दाखिल नहीं किया जा सकेगा | इस अधिनियम से अयोध्या के राम मंदिर प्रकरण को अलग रखा गया था |
वसीम रिजवी ने आगे लिखा है, ‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991’ एक विवादित अधिनियम है जो किसी एक धर्म के अधिकार और धार्मिक संपत्ति जो उनसे मुस्लिम कट्टरपंथी मुगल शासकों ने ताकत के बल पर छीन कर उस पर अपना धार्मिक स्थल (मस्जिद) बनवा दिए थे, वह सभी प्राचीन धार्मिक स्थल भारतीय हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों के थे | ये धार्मिक स्थल उन्हें वापस न मिलने पाए, इस अन्याय को सुरक्षा प्रदान करता है जो कि किसी एक धर्म विशेष के धार्मिक अधिकारों और धार्मिक संपत्तियों का हनन है |