लखनऊ,22,अप्रैल।बिजली के दलित अभियन्ता स्थानान्तरण नीति की दोहरी कार्यवाही से भड़के, कहा सपा सरकार में जिन अभियन्ताओं को समूह-क से ख में किया गया रिवर्ट अब उनके कार्यकाल की गणना पीछे से किया जाना दोहरा मापदण्ड है।
एसोसिएशन ने कहा कि स्थानान्तरण में दलित अभियन्ताओं के साथ हुए भेदभाव की शिकायत तो दलित अभियन्ता ऊर्जा मंत्री से मिलकर करेंगे
पिछले 6 वर्षों से ज्यादातर दलित अभियन्ता कम्पनियों से सम्बद्ध हैं, अब उनके साथ पुनः भेदभाव की तैयारी की जा रही है।
उ0प्र0 पावर आफिसर्स एसोसिएशन की आज प्रान्तीय कार्यसमिति की एक आवश्यक बैठक फील्ड हास्टल कार्यालय में सम्पन्न हुई, जिसमें स्थानान्तरण नीति पर चर्चा की गयी। दलित अभियन्ताओं ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि कुछ बिजली कम्पनियों में समूह-क के पद पर 10 वर्ष की तैनाती में सपा सरकार में रिवर्ट हुए अभियन्ताओं का नाम भी जोड़कर उनका नाम शक्ति भवन भेजकर उन्हें स्थानान्तरित कराने की साजिश की जा रही है। गौरतलब है कि सपा सरकार में हजारों दलित अभियन्ताओं को समूह-क से रिवर्ट कर समूह-ख में कर दिया गया था, जिसका अपमान वह आज भी सह रहे हैं। अब स्थानान्तरण में भी उनके कार्य अवधि की गणना समूह-क का मानकर उनके स्थानान्तरण की भी तैयारी की जा रही है। जिसे एसोसिएशन बर्दाश्त नहीं करेगा। जब रिवर्ट करना था तो समूह-क से ख में कर दिया। अब जब स्थानान्तरण की बात आयी तो उनके कार्यकाल की गणना समूह-क से की जा रही है। दलित अभियन्ताओं के साथ कोई भी अन्याय हुआ तो एसोसिएशन मा0 ऊर्जा मंत्री से मिलकर उनके सामने पूरे पक्ष रखेगा।
उ0प्र0 पावर आफीसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, सचिव आर0पी0 केन, पश्चिमांचल कम्पनी के क्षेत्रीय अध्यक्ष एस0पी0 सिंह, मध्यांचल कम्पनी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह, लेसा अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि इस पूरे मामले की जानकारी कार्यवाहक अध्यक्ष द्वारा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा से मिलकर पूर्व में ही उन्हें दी जा चुकी है, उनके द्वारा यह आश्वस्त किया गया है कि किसी भी दलित अभियन्ता का अनावश्यक उत्पीड़न नहीं होने पायेगा। जिन अभियन्ताओं को समूह-क से ख में रिवर्ट कर नया चार्ज सर्टिफिकेट भरवाया गया था। उसी आधार पर उनके मामले में निर्णय लिया जायेगा। किसी भी अभियन्ता के साथ कोई भेद भाव नहीं किया जायेगा।
एसोसिएशन के नेताओं ने कहा कि पूर्व वर्ष में भी स्थानान्तरण नीति में पावर कार्पोरेशन ने यही व्यवस्था लागू की थी कि रिवर्शन के पश्चात ही उनके कार्यकाल की गणना की गयी थी। लेकिन अब पुनः कुछ कम्पनियों द्वारा दलित अभियन्ताओं को चिन्हित करना गलत है। पिछले 6 वर्षों का रिकार्ड देखा जाय तो ज्यादातर दलित अभियन्ताओं को कम्पनियों में सम्बद्ध रखा गया है और अब पुनः उनके साथ भेदभाव की साजिश की जा रही है।