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ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती विश्विद्यालय में क्या साक्षात्कार से पहले ही तय हो गए हैं असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद ?
ज़की भारतीय
लखनऊ,संवाददाता | लखनऊ के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में जारी असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद की भर्ती के लिए साक्षात्कार पूरी तरह बेईमानी पर आधारित हैं | ये कहना उन लोगों का है जो असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद के लिए साक्षात्कार दे रहे हैं | असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के साक्षात्कार देने वालों का कहना है कि कुछ इंटरनल एक्सपर्ट ने मोटी रक़म लेकर अपने लोगों की सीट फिक्स कर दी है |वैसे तो ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्विद्यालय में लगभग 15 दिनों से अलग अलग श्रेणी के लिए असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पदों के लिए लिखित परीक्षाएं और मौखिक साक्षात्कार चल रहे हैं लेकिन आज और कल के अंतिम उर्दू विषय में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन होना है |
सूत्र बताते हैं कि अधिकतर पदों पर नियुक्त होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसरों का भविष्य मोटी रक़म ,ऊँची पहुंच तय कर रहे हैं | यही नहीं उर्दू साक्षात्कार में पहले से ही फिक्स कैंडिडेट्स के कारण छात्रों में ज़बरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है |
उर्दू पद हेतु असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की परीक्षा देने वाले छात्रों का दावा है कि उनके आरोप बे बुनियाद नहीं बल्कि सत्यता पर आधारित हैं | एक छात्र ने अपने नाम गुप्त रखते हुए बताया कि उर्दू पद हेतु अभी कल भी साक्षात्कार होना हैं बाक़ी है ,लेकिन अभी से पता है कि इडब्लूएस केटेगरी में सिब्ते हसन नकवी,ओबीसी केटेगरी में डॉ ज़फरुल नक़ी और जनरल केटेगरी में डॉ तारिक कमर को पहले से ही चुन लिया गया है |
छात्रों का कहना है कि इन तीनों लोगों का इंटरव्यू कल है, लेकिन ख़बर पहले से ही फैल गई है कि इडब्लूएस केटेगरी में सिब्ते हसन नकवी,ओबीसी केटेगरी में डॉ ज़फरुल नक़ी और जनरल केटेगरी में डॉ तारिक कमर को चुन लिया जाएगा | छात्रों का कहना है कि इससे यही लगता है कि इस नियुक्ति में भ्रष्टाचार चरम पर है |
कुछ छात्रों ने खुलकर इंटरनल एक्सपर्ट प्रो. अनीस अशफ़ाक आबदी रिटायर्ड लखनऊ विश्वविद्यालय और प्रो. मौला बख्श अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये तीनों कैंडिडेट इन दोनों के ख़ास हैं |
अब देखना ये है कि क्या छात्रों द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं या ग़लत ? ये बात आईने कि तरह परिणाम आने के बाद साफ़ हो जाएगी |
क्या तीनों असिस्टेंट प्रोफ़ेसर योग्य उम्मीदवार हैं ?
खबर लिखे जाने का उद्देश्य कदापि ये नहीं है कि योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं किया जाए | नाराज़ छात्र ये जानते हैं कि इन तीनों को पहले से ही चुन लिया गया है ,तो ऐसा भी संभव है कि वो लोग ये भी जानते हों कि ये तीनों छात्र जिन्होंने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद के लिए परीक्षा दी है वो योग्य उम्मीदवार हैं और इनके नाम अवश्य आ सकते हैं ,तो ऐसी दशा में सलेक्शन कमेटी अगर हमारी खबर के कारण इन तीनों का चयन नहीं करती है तो नाइंसाफी होगी ,क्योंकि अगर ये असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद के लिए योग्य हैं तो इनको चयनित किया जाना आवश्यक है | किसी होनहार छात्र के बारे में यदि पहले से कोई समाचार पत्र ये लिख देता है कि XYZ का चयन होना तय है तो क्या उसका चयन इसलिए नहीं किया जाएगा ,क्योंकि कोई समाचार पत्र उसके सलेक्शन की खबर पहले से लिख चुका है ? अगर ऐसा है तो सलेक्शन कमेटी न इंसाफ़ी करेगी | सलेक्शन कमेटी को उसका सलेक्शन ज़रूर करना होगा जो योग्य उम्मीदवार हो ,वरना जहाँ पात्र कैंडिडेट के जीवन के साथ खिलवाड़ होगा वहीँ उन छात्रों की शिक्षा प्रभावित होगी जो ऐसे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर से शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाएंगे |
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