ज़की भारतीय
लखनऊ, संवाददाता । कोरोना वायरस ने जिस तरह अपने खौफ का डंका पूरे विश्व मे बजाकर दुनिया को एक जगह पर अंगूठी में नगीने की तरह जड़ दिया ,शायद इससे पहले संसार भर में ऐसा कभी नहीं हुआ। इस ख़तरनाक वायरस से पहले भी प्लेग,इबोला,एस.ए.आर.एस जैसे कई और वायरस आए और आ कर चले गए लेकिन ऐसी स्थित कभी नहीं हुई जैसी स्थित इस सन 2020 में आई। आने वाली पीढ़ी इसे इतिहास के पृष्ठ में अवश्य दर्ज करेगी । इतिहास गवाह है कि कभी हमारे देश के मंदिरों ,मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारे के साथ-साथ किसी भी इमामबाड़ों के दरवाजों पर ताले नहीं पड़े थे। कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से अधिकतर देशों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का डॉलर कमज़ोर हो गया और भारत की भी आर्थिक स्थित खराब हो गई। यही कारण है कि भारत के कुछ राज्यों में शराब की बिक्री को खोल दिया गया। जिससे सरकारी खातों मेवधान आ सके। अभी आशा है कि सिगरेट, गुटका,रजिस्टार कार्यालय, ट्रेनें, बसें, फ़िल्म थियटर जैसे तमाम कमाई के रास्तों को खोलना पड़ेगा। जैसा कि सब जानते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने दिए बयान में कहा है कि हमे इस वायरस के साथ जीना होगा। मतलब साफ है कि लॉक डाउन जनता तो बर्दाश्त कर रही है और आगे भी कर लेगी लेकिन सरकार अब आर्थिक तंगी से जंग करने में असहाय नज़र आ रही है। मतलब साफ है कि अब हमारे घरों में रहने की मेहनत पर पानी फिरने वाला है। हालाँकि भारत मे इसके इलाज के लिए कोई डॉक्टर काढ़ा बात रहा है तो कोई ऐलोपैथिक की दवा बता रहा है तो कोई होमियोपैथिक की दवा कारगर बता रहा है।
आज इज़राइल ने भी किसी दवा बना लिए जाने का दावा कर दिया है, तो वहीं आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास पर टास्क फोर्स की एक बैठक की अध्यक्षता भी की है । बैठक में वैक्सीन विकास ,ड्रग्स की खोज ,टेस्टिंग और डायग्रोसिस में भारत के प्रयासों की वर्तमान स्थित की विस्तृत समीक्षा की है।
भारतीय वैक्सीन कंपनियां शुरुआती चरण के वैक्सीन विकास अनुसंधान में इनोवेटर्स के रूप में सामने आई है। इस क्षेत्र में भारतीय शिक्षाविदों और स्टार्ट – अप्स ने भी अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत मे 30 से ज़्यादा वैक्सीन विकास के विभिन्न चरणों मे हैं,जिनमें से कुछ टेस्टिंग चरण में हैं।