HomeWORLDकोरोना वायरस (कोविड - 19 ) को अलविदा कहने का आया समय

कोरोना वायरस (कोविड – 19 ) को अलविदा कहने का आया समय

ज़की भारतीय

जल्द मार्केट में होगी क्रोना वायरस से लड़ने की दवा

लखनऊ ,संवाददाता |कोरोना वायरस ने अपनी खतरनाक दस्तक वैसे तो सबसे पहले चीन में दी थी, लेकिन समय के साथ साथ इस वायरस ने अधिकतर देशों में अपने खतरनाक काले साये से सबको भयभीत कर डाला और अभी भी लोगों को मृत्युलोक भेजने से कोरोना वायरस पीछे होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है | दुनिया भर ने इस वायरस से बचने के लिए एक फंडा अपनाया था, जिसे सोशल डिस्टेंसिंग की संज्ञा दी गई | ज़ाहिर है सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सरकारों को लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ा,लेकिन लॉकडाउन ने देश की आर्थिक रूप से कमर तोड़ डाली और जनता के कारोबार औंधे मुंह धरती पर गिर पड़े | विशेषज्ञों की मने तो ये कोरोना वायरस कहीं जाने वाला नहीं है ,हमें इसके साथ ही जीना और मरना पड़ेगा | लेकिन ये भी तय है कि मनुष्य संसार में सबसे सर्वोपरि है और संसार में आने वाली हर बीमारी का इलाज भी ईश्वर पहले ही भेज देता है और जब भी कोई बीमारी आती है तो विशेषज्ञ उस बीमारी को खत्म करने या उसपर अंकुश लगाने के लिए खोज शुरू कर देते हैं |यही कारण है कि आज कई देश इस वायरस के इलाज की खातिर रिसर्च में लगे हुए हैं और जिसका नतीजा भी आने लगा है | जिस खबर का दुनिया को इंतजार था ,शायद वो आ गई है | बताते चलें, भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सभी इस मामले में लगातार रिसर्च कर रहे थे । इस संबंध में अमेरिका की एक वैक्सीन ने उम्मीद जगा दी है। दरअसल बोस्टन स्थित बायोटेक कंपनी मॉर्डना ने कोरोना की वैक्सीन का इंसानों पर टेस्ट करना शुरू किया था। फिलहाल इस वैक्सीन के शुरूआती नतीजे काफी सकारात्मक बताए जा रहे हैं। कंपनी का कहना है कि जिन लोगों पर इस वैक्सीन (कोरोना वैक्सीन, एम आरएनए 1273 ) का प्रयोग किया गया, उनके शरीर में अच्छी इम्यूनिटी बढ़ी है और साइड इफेक्ट्स भी मामूली हुए ।

आपको जानकार ये हैरानी होगी कि मॉर्डना कंपनी ने वैक्सीन बनाने से लेकर प्रयोग तक का कार्य मात्र 42 दिनों में पूरा कर लिया , जो अपने आप में एक बड़ी सफलता है | क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई दवा जानवरों से पहले इंसान पर इस्तेमाल की गई हो। 16 मार्च को सिएटल की काइज़र परमानेंट रिसर्च फैसिलिटी में सबसे पहले यह वैक्सीन दो बच्चों की 43 वर्षीय माँ जेनिफर पर इस्तेमाल की गई | 55 लोगों के एक समूह में से 8 को ये वैक्सीन लगाई जा चुकी है । जिन लोगों को वैक्सीन दी गई है उनकी उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच है और खासबात ये है कि इन लोगों को साइड इफेक्ट्स बेहद मामूली से हुए हैं।
जुलाई में इस वैक्सीन के प्रयोग का अगला फेस शुरू होगा और उसके सफल होने पर कंपनी को इसे बनाए जाने का लाइसेंस मिल जाएगा। हालाँकि इसका सफल परीक्षण हो चूका है और इसके परिणाम भी ज़बरदस्त आ चुके हैं ,इसलिए अब ये मान लिया जाए कि अगस्त तक इस कोरोना वायरस का ख़ात्मा तय है |

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