कुख्यात अपराधी विकास दुबे को खबर देने वाला कौन था ?
ज़की भारतीया
भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की हो मॉनिटरिंग,अपराध पर लगेगा अंकुश
लखनऊ, संवाददाता । कानपुर में पुलिस टीम पर हुए हमला करके सुर्ख़ियों में आया क्रूर अपराधी विकास दुबे के एक साथी को आज (रविवार) सुबह गिरफ्तार कर लिया आया है । पुलिस के हत्थे चढ़े दयाशंकर अग्निहोत्री ने विकास दुबे के घर से हुए हमले को लेकर कई अहम बिंदुओं पर से पर्दा हटाया है । पूछताछ में उसने ये भी बताया है कि विकास के पास किसी का फोन आया जिसके बाद वो सक्रिय हुआ और उसने आनन फानन में बाहर से 25 से 30 लोगों को बुलाया ।
इसके अलावा रास्ते पर जेसीबी खड़ी कर के पुलिस टीम का रास्ता रोकने की तैयारी भी की गई । विकास दुबे के ख़बरी पुलिस विभाग में ही थे , लेकिन दबिश देने आई हुई पुलिस की जांबाज़ टीम को इसकी जानकारी नहीं थी । ये घटना बिलकुल फ़िल्मी अंदाज़ में घटित हुई है । जैसे फिल्मों में पुलिस ही पुलिस की मुखबरी करती है और अभियुक्त फरार हो जाता है ठीक वैसे ही इस घटना में चौबेपुर थाने की पुलिस की भूमिका शक के घेरे में है ।
ईमानदार पुलिस कर्मियों के लिए जुर्म के विरुद्ध कार्रवाई करना इस दौर में चुनौती से कम नहीं ।
भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की अपराधियों से सांठ गाँठ आम जन मानस के लिए जीना मुश्किल कर रही थी ,लेकिन अब तो ईमानदार और अपने कर्तव्य को निभाने वाले पुलिस कर्मियों का जीवन भी ख़तरे में नज़र आ रहा है । यदि थाने से फ़ोन करके बिजली न कटवाई गई होती और अपराधी को फ़ोन करके पुलिस के आने की सुचना यहीं मिलती तो खूंखार अपराधी विकास दुबे को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी होती और कोई पुलिस कर्मी शहादत का जाम भी नहीं पीता । इस मामले में जितना दोषी विकास दुबे है उतना ही दोषी वो है ,जिसने विकास दुबे को मुखबरी की है । जब विकास दुबे को ज्ञात हो गया कि उसे गिरफ्तार करने पुलिस आ रही है तो उसने भागने के बजाए पुलिस से मोर्चा लेने का फैसला किया और विकास दुबे और उसके बुलाए गए सभी साथी घात लगाकर गांव में बैठ गए । पुलिस टीम के पहुंचने के बाद विकास ने खुद भी पुलिस टीम पर फायरिंग की ।अब पुलिस टीम दयाशंकर की इस जानकारी के बाद उन लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रही है, जिन्हें उस रात विकरू गांव से फोन किया गया था। इसके अलावा तमाम ऐसे अभियुक्तों पर भी नजर रखी जा रही है, जिन्हें विकास दुबे के ठिकानों की जानकारी है ।
बताया जा रहा है कि एसटीएफ की तमाम टीमों ने सेंट्रल यूपी और वेस्ट यूपी के जिलों में डेरा डालकर विकास की तलाश शुरू की है। इस मामले में पुलिस के साथ-साथ खुफिया तंत्र को भी सक्रिय किया गया है। घटना के बाद विकास और उसके साथी कैसे भागे, इसे लेकर भी पुलिस अधिकारी, गिरफ्तार दयाशंकर से कड़ी पूछताछ कर रहे हैं। बहरहाल सरकार को इस घटना से सबक़ लेते हुए पुलिस विभाग में उन पुलिस कर्मियों को चिन्हित करना चाहिए जो भ्रष्टचार में लिप्त हैं । उनकी मानेटरिंग होना चाहिए उनके फ़ोन सर्विलांस पर लेना चाहिए जिससे पता चल सके कि ऐसे पुलिस कर्मियों से अपराधियों से कैसे संबंध है वरना ईमानदार पुलिस कर्मी किसी भी समय कहीं भी अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो सकेंगे और अपनी जान को भी न्योछावर करते रहेंगे जबकि अपराधियों के हौसले बलन्द होते जाएंगे ।
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Nice, good news
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