लखनऊ (संवाददाता) भाजपा आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में कमज़ोर पड़ती नज़र आ रही है,क्योंकि एक मुहावरा है जो लोगों की ज़बान पर अक्सर आ ही जाता है | कहा गया है की “खत का मज़मून भाप लेते हैं लिफाफा देखकर” ज़ाहिर है अभी कुछ माह पूर्व ही कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों में महज कुछ ही सीटों से बहुमत का आंकड़ा छूने में विफल भाजपा शनिवार को हुए शहरी स्थानीय निकाव चुनाव में भी पिछड़ गई है। सोमवार को आए परिणामों में कांग्रेस कड़े मुकाबले में भाजपा से आगे निकल गई| कांग्रेस ने 982 सीटें हासिल करके भाजपा को पिछाड़कर ये साबित कर दिया है कि भाजपा के लाख दावों के बावजूद कांग्रेस मिटने का नाम नहीं ले रही है | बहरहाल इस चुनाव में भाजपा को 929 सीटें मिली हैं। राज्य में कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे जनता दल (एस) ने 375 सीटें हासिल की हैं। शेष सीटों पर 329 निर्दलीयों के साथ अन्य लोग विजयी हुए हैं |ख़ास बात ये है कि विधानसभा चुनाव बाद गठबंधन बनाने के बावजूद कांग्रेस और जद (एस) ने यह चुनाव अलग-अलग लड़ा है। लेकिन इन्होंने शहरी निकायों में भी चुनाव बाद गठबंधन की घोषणा कर रखी है। और अगर गठबंधन की साझीदारों को को जोड़ा जाए तो इनको 1,357 सीटें प्राप्त हुई हैं |
इस चुनाव के नतीजों को ग़ौर किया जाए तो आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के रुझान
का अंदाज़ लगाया जा सकता है | कांग्रेस-जदएस का गठबंधन बता रहा है की भाजपा की लोकप्रियता
और मोदी का जादू धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है | राज्य में तीन नगर निगमों, 29 नगरपालिका परिषदों, 52 शहरी नगर परिषदों और 20 शहर पंचायतों के चुनाव हुए हैं।जबकि हालिया बाढ़ के कारण कोडागू में चुनाव नहीं कराए जा सके हैं।