ज़की भारतीय
लखनऊ,संवाददाता।लॉक तोड़ने वालों पर उत्तर प्रदेश पुलिस की सख्त कार्रवाई सख्ती से जारी है। लॉकडाउन में पुलिस की सख्ती के शिकार अधिकतर वही लोग हो रहे हैं जिनको बहुत ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ रहा है ।इनमे परचून दुकानदार , ग्वाले, दवा विक्रेता या फिर मरीज़ के तीमारदार शमिल हैं। वरना इस लॉकडाउन के दौरान कौन मूर्ख होगा जो ऐसे समय में सैर सपाटे के लिए घर से निकलेगा। कोई जल्दी में हैलमेट लगाना भूल जाता है कोई गाड़ी के कागजात तो कोई अपने मरीज़ के लिए दवा का पर्चा मोबाईल पर ले जाते हुए चालान कटवा रहा है।
ऐसी बुरी घड़ी में जब लॉकडाउन के कारण बड़े से बड़ा धनी व्यक्ति निर्धन नज़र आ रहा हसि तो मध्यम वर्ग की स्थित क्या होगी ये चिंतनीय है। निर्धन व्यक्ति के पास न तो मोटरसाइकिल है ना ही कर,मगर माध्यम वर्ग के पास बैंकों की कृपा से मोटसाइकिल भी है और कार भी लेकिन एक वर्ष बाद वो अपनी दो पहिया या फिर चौपहिया का इंश्योरेंस भी करवाने से मजबूर हो जाता है।
उन लोगों का इस समय चालान करके वसूली करना कितना न्यायसंगत है ?
प्रतिदिन उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक जानकारी दी जाती है ,जिसमे बताया जाता है कि आज कितनी वसूली की गई ,कितने वाहन सीज़ किये गए। मतलब ऐसे बुरे समय में भी सरकार कमाई का पूरा ध्यान रख रही है ,जो कि बिल्कुल ग़लत है। ऐसे वक़्त में लॉक डाउन का पालन न करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए ,वो भी तब,जब इस बात की पुष्टि हो जाए कि वो व्यक्ति सत्य में लॉकडाउन को तोड़ रहा है। आज ही मेडिकल कॉलेज के एक मेडिकल स्टोर की स्वामी ने बताया कि उनके पास अपना पास भी था वो हैलमेट भी लगाए थे बावजूद इसके ,उन्हें रोककर उनका चालान कर दिया गया। इस तरह से कमाई गई धनराशि से अगर सरकार किसी की सहायता कर रही है तो कतई मत करे। वरना एक की भूख मिटाते-मिटाते दूसरे को कंगाल कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश भर में अब तक 741112 वाहनों का चालान किया गया , 33913 वाहन सीज किये गए और प्रदेश भर में अब तक 13 करोड़ 80 लाख 17392 रुपए समन शुल्क वसूला गया है जबकि धारा 188 के तहत 34460 केस, ईसी एक्ट के तहत 569 मुकदमे दर्ज किये गए हैं।अब अकेले उत्तर प्रदेश से लगभग 14 करोड़ रुपए की वसूली क्या मध्यम वर्ग की आर्थिक रूप से कमर नहीं तोड़ देगी ?