अमित शाह के बयान से संसद में काटा विपक्षियों ने बवाल
लखनऊ (सवांददाता)। एनआरसी मामले पर आज भाजपा सांसद अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान के बाद संसद में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा सांसद अमित शाह ने संसद में इस बारे में बोलते हुए कहा कि किसी के पास घुसपैठियों की पहचान करने की हिम्मत नहीं थी। हमारे अंदर अमल करने की हिम्मत है, इसीलिए हम यह कर रहे हैं। इस बयान के बाद ही संसद में हंगामा हो गया।
अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इस मामले पर सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस में बांग्लादेशी घुसपैठियों से मुकाबले की हिम्मत नहीं थी। उन्होंने ये भी कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता सीमाओं की सुरक्षा करना है। शाह ने कहा कि जैसे ही उन्होंने सदन में इस मुद्दे पर बात रखने की कोशिश की तो सदन में हंगामा किया गया और बात नहीं रखने दी गई।
भाजपा सांसद अमित शाह ने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा कि सभी राजनैतिक दलों को बांग्लादेशी घुसपैठियों पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। शाह ने कहा कि राहुल गांधी को अपनी नानी स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात याद रखनी चाहिए, जिन्होंने कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है। इसके अलावा अमित शाह ने ये कहा कि बंगाली, बिहारी का नाम लेकर असली मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो भारत के किसी भी राज्य का नागरिक है, वो असम में रह सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी आपत्ति बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर है और बाकी दलों को भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एनआरसी के मु्द्दे पर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है। शाह ने कहा जिन 40 लाख नागरिकों के नाम हटे हैं, वो घुसपैठिये हैं। शाह ने ये कहा कि किसी भारतीय नागरिक का नाम काटा नहीं गया है, सिवाय जो लोग अपने भारतीय होने का सबूत नहीं दे पाए हैं, उनका नाम हटाया गया है। शाह ने कहा कि ये प्राथमिक सूची है, इस पर अभी बहुत सी चीजें होनी बाकी हैं।
शाह ने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर भाजपा सरकार की खराब छवि प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है। शाह ने कहा कि असम में अवैध घुसपैठ एक बड़ी समस्या थी। असम की जनता ने एक लंबा आंदोलन किया, जिसमें सैंकड़ों लोग शहीद हो गए। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने 14 अगस्त, 1985 को असम अकॉर्ड साइन किया। जिसके वक्त प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी थे। शाह ने आगे कहा कि असम अकॉर्ड की आत्मा ही एनआरसी है। आगे शाह ने कहा कि अब मैं कांग्रेस से पूछता हूं कि किस आधार पर वे एनआरसी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।