लखनऊ (संवाददाता) जिसने भाजपा को एक नई पहचान दिलाई और रथ यात्रा के बाद से भाजपा को सत्ता में लाने का अहम किरदार अदा किया उसी आडवाणी को टिकट न दिए जाने से भले ही आडवाणी नाराज़ न हों लेकिन इसकी तकलीफ राहुल गाँधी को अधिक हो रही है | बताते चलें कि भाजपा संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे लाल कृष्ण आडवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। आडवाणी की पारंपरिक सीट गांधीनगर से भारतीय जनता पार्टी ने अध्यक्ष अमित शाह को उम्मीदवार बनाया है। विरोधी भाजपा के इस कदम को आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता का अपमान बता रहे हैं। हालांकि, आडवाणी की ओर से अभी तक गांधीनगर से टिकट नहीं दिए जाने को लेकर कोई बयान नहीं दिया है। गौर करने वाली बात ये भी है कि भाजपा ने 75 वर्ष पार के नेताओं को चुनाव न लड़वाने की नीति बनाई है। आडवाणी को टिकट न मिलना इसी नीति का हिस्सा है। लाल कृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को करीब पांच साल बाद ब्लॉग लिखा है। इस ब्लॉग में उन्होंने भाजपा की कार्यसंस्कृति को समझाया है। आडवाणी ने लिखा है कि भाजपा के लिए अन्य विरोधी दलों के नेता राजनैतिक विरोधी हैं न कि दुश्मन।
चुनावी सरगर्मी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाषा की मर्यादाओं को तोड़ते हुए सारी सीमाएं पार कर दी। राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है। महाराष्ट्र के चंद्रापुर में राहुल ने कहा, पीएम मोदी हिंदू धर्म की बात करते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में सबसे जरूरी होता है गुरु , और पीएम मोदी अपने गुरु आडवाणी के सामने हाथ तक नहीं जोडे।
राहुल गाँधी यहीं पर ही नहीं रुके, उन्होंने आपत्तिजनक बयान जारी रखा और कहा, ‘स्टेज से उठाकर फेंक दिया गुरु को, मारकर स्टेज से उतारा है आडवाणी जी को और फिर हिंदू धर्म की बात करते हैं।’ राहुल ने इसके बाद सवाल किया कि हिंदू धर्म में कहां लिखा है कि लोगों को मारना चाहिए और हिंसा करनी चाहिए।