मंदिर निर्माण की आवाज़ उठाने वाले सही,तो मस्जिद निर्माण की आवाज़ उठाने वाले गलत कैसे ?
अयोध्या में जबरन मंदिर निर्माण करने वालों के विरुद्ध भाजपा की सराहनीय भूमिका
(ज़की भारतीय)
लखनऊ (सवांददाता) अयोध्या में आज ही के दिन यानि 6 दिसंबर 1992 को वहाँ स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों द्धारा ध्वस्त कर दिया गया था | जिसके के बाद पूरे भारत में हिन्दू मुसलमान दंगे हुए और अनगिनित बेकसूर लोगों की जानें चली गईं थी | बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हज़ारों कारसेवकों के विरुद्ध मुक़दमा पंजकृत हुए थे जिनमे भाजपा के प्रमुख नेता भी शामिल थे | ज़ाहिर है कि कारसेवकों ने वो कार्य किये थे जो अपराध के दायरे में आते थे | वरना बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद इन लोगों पर मुक़दमे दर्ज नहीं होते | आज खुलेआम सर्वोच्च न्यायलय के विरुद्ध लोग बयान देते हुए नज़र आ रहे है | जब्कि सबकों मालूम है कि बाबरी मस्जिद का मामला अदालत ने विचाराधीन है, बावजूद इसके अयोध्या में राममंदिर निर्माण के बावत लोग खुली हुई न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं | इसी तरह आज जब अलीगढ़ विश्वविघालय में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराने के लिए दीवारों पर लगे हुए पोस्टर देखे गए तो आखिर प्रशासन ने उन्हें दीवारों से क्यों हटवाया और वहाँ की सुरक्षा बड़ा दी गई | क्योकि आज जिस तरह हिन्दू समुदाय वहाँ राममंदिर निर्माण की खुलेआम बात कर सकता हैं तो आखिर मुसलमान मस्जिद निर्माण के लिए आवाज़ क्यों नहीं उठा सकता ? एक ओर जहां शिवसेना के कार्यकर्ता जहाँ आज के दिन को शौर्य दिवस के रूप में मना रहे हैं वही दूसरी तरफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आलावा भी मुसलमान यौमे ग़म मना रहे हैं | ये अलग बात हैं कि आज बाबरी मस्जिद की शहादत के 26 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हिंदु व मुस्लिमों के साथ सुरक्षा बल भी अलर्ट पर हैं। राम मंदिर निर्माण मुद्दा जानें क्यों 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गरमा गया है। भाजपा सरकार के आने के बाद हिन्दुओं को आशा थी कि इस बार भाजपा के प्रचंड बहुमत के कारण मंदिर का निर्माण अवश्य हो जायेगा, लेकिन ऐसा साढ़े चार वर्ष की केंद्र सरकार के कार्यकाल के बाद भी नहीं हो सका | ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद, साधू-संत और शिवसेना द्धारा ये मुद्दा फिर से उठाया गया हैं | यहाँ पर ये कहना गलत होगा कि इसके पीछे भी संघ और भाजपा है | आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या के कारसेवक भवन में शौर्य दिवस मनाया, वहीं मुस्लिम पक्ष के लोग इस मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी के घर काला दिवस मनाने पहुंचे । अयोध्या में आज के दिन ही कारसेवकों ने 1992 में महज 17 से 18 मिनट के अंदर ही बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। लेकिन इस मामले में कुछ लोगों का कहना था कि मस्जिद को गिराने के लिए पहले से ही डाइनामाइट लगा दिया गया था | क्योकि मीडिया ने भी कारसेवकों को सिर्फ बुर्जियां तोड़ते हुए ही दिखाया था |
अब इस बात में कितनी सत्यता हैं या कितना झूट, इसके बारे में कहना मुश्किल हैं | भारतीय जनता पार्टी समेत देश की कई राजनीतिक पार्टियां अयोध्या राम मंदिर के निर्माण के लिए हुंकार भर रही हैं। लेकिन शीर्ष अदालत में विचाराधीन इस प्रकरण के बावजूद इन लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने वाला नहीं हैं | अगर देखा जाये तो जहाँ अलीगढ़ विश्वविघालय में लगे पोस्टर के विरुद्ध प्रशासन सख्त हुआ, तो उनके विरुद्ध भी प्रशासन को सख्त होना चाहिए जो मंदिर निर्माण के लिए हुंकार भर रहे है | हालाँकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में अभी तक अयोध्या में कारसेवकों द्धारा कोई मनमानी नहीं की जा सकी हैं | जिसके के लिए योगी की सराहना करना पड़ेगी | ये अलग बात हैं कि राजनीतिक दल ही नहीं मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा के सांसद भी बयान दे रहे हैं।
बताते चलें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले 30 नवंबर 1992 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या जाने का एलान किया था। इसके बाद ही बाबरी मस्जिद के विध्वंस को लेकर रूपरेखा तैयार होनी शुरू हो गई थी। लालकृष्ण आडवाणी के इस दौरे की जानकारी राज्य और केंद्र सरकार दोनों को थी। पांच दिसंबर की शाम केंद्रीय गृह मंत्री शंकर राव चौहान ने कहा था कि अयोध्या में कुछ नहीं होगा। जब्कि सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री को अपनी खुफिया एजेंसियों की तुलना में यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर ज्यादा भरोसा था। पीएम पीवी नरसिम्हा राव को यूपी के सीएम कल्याण सिंह के उस बयान पर ज्यादा भरोसा था जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा की बात कही थी। इस दौरान खुफिया एजेंसियों ने कारसेवकों के बढ़ते गुस्से के बारे में जानकारी दे दी थी | ख़ुफ़िया एजेंसियों ने बता दिया था कि किसी भी वक्त कारसेवक बाबरी मस्जिद पर धावा बोल सकते हैं और ढांचे को ध्वस्त किया जा सकता है। इसके बावजूद भी सावधानी नहीं बरती गई, और जिसका अंजाम आजतक हिन्दू-मुसलमान भुगत रहे हैं | यही नहीं बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद कुछ घंटे के अंदर ही सीएम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। एक तरफ कई पक्षों की तरफ से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है, तो वहीं अभी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर जनवरी, 2019 में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई आस्था के आधार पर नहीं बल्कि जमीन विवाद के हिसाब से हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था | इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था । 100 करोड़ हिंदुओं के पुरुषार्थ से राम मंदिर बनेगा। सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरिराज सिंह ने पत्रकारों से मंदिर निर्माण मामले में कहा हैं कि इस बारे में जिसे जो कहना है, वह कहता रहे। उन्होंने ये बयान आज सुबह फजलगंज स्थित टूल रूम का निरीक्षण करने के बाद दिया हैं | अब सवाल ये उठता हैं कि उनका ये बयान क्या अदालत कि अवमानना नहीं हैं ?